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________________ महमूद बेगड़ा का दोहाद का शिलालेख यह भी विचारणीय है कि इस लेख में अहमद की दूसरी लड़ाइयों* का कोई उल्लेख नहीं है, विशेषतः गिरनार के चूड़ासमा राजा, खानदेश के नासिर और चांपानेर के राजा का, जिनको उसने १४२२ ई० में अपने आधीन कर लिया था । दक्षिण के बहमनी राजा अलाउद्दीन अहमद के विषय में भी इसमें कोई उल्लेख नहीं है । अहमद के पुत्र महम्मद के बारे में इस लेख में विशेष हाल नहीं लिखा है और यह ठीक भी है। यद्यपि ऐसा कहते हैं कि ईडर के राजा बीर ( बैर), मेवाड़ के राणा कुम्भा और चम्पानेर के राजा गंगादास + पर उसने विजय प्राप्त की थी। परन्तु कुछ मुसलमान इतिहासकारों ने उसके विषय में लिखा है कि वह कायर था और जब मालवा के सुलतान महमूद ने उस पर हमला किया तो उसने पीठ दिखा दी थी। उसकी इस कायरता के फलस्वरूप ही कुछ अफ़सरों के बहकाने से उसको स्त्री ने उसे विष दे दिया था। उसका एक गुण यह था कि वह उदार बहुत था और इसीलिये मुसलमान लोग उसे 'करोम' कहते थे || ३२ ] महम्मद के बाद तुरन्त ही महमूद से हमारा परिचय होता है । जैसा कि ऊपर लिखा जा चुका है उसके दो पूर्वाधिकारियों के नाम छोड़ दिये गये हैं । महसूद का नाम महमूद बेगड़ा (गुजराती बेगड़ो ) अधिक प्रसिद्ध है । प्रस्तुत शिलालेख में उसको वीर योद्धा ** लिखा है और आगे चल कर ग्यासदीन का उल्लेख है । यह स्पष्ट नहीं हैं कि इस उपाधि का प्रयोग महमूद के लिए किया गया है अथवा उसके कुल में उत्पन्न किसी अन्य व्यक्ति के लिए। यदि इसका प्रयोग महमूद के लिए किया गया है तो यह बात कुछ विचित्र सी जान पड़ती है क्योंकि इस उपाधि का अर्थ है ( गियास उद्दीन) धर्म का सहायक, और farai + + और लेखों + + में उसके लिए नासिरउद्दीन वा उदुनिया अर्थात् 'धर्म और जगत् का रक्षक' लिखा है । अहमद प्रथम के पुत्र मुहम्मद द्वितीय को उसके सिक्कों में गियासउद्दीन लिखा है 111 * देखिए - - कैम्ब्रिज हिस्ट्री आफ़ इण्डिया, जि० ३, पृ० २६६--६६ + देखिए टिप्पणी पृ० ० हि० इ०, जि० ३, पृ० ३००-०१; ब्रिग्स - जि० ४, पृ० ३५; फरीदीपृ० २३-२४ || ब्रिग्स - जि० ४, पृ० ३६, फरीदी ने यह कृत्य किसी सय्यद का लिखा है, पृ० २६ । मीराते सिकन्दरी, पृ २३ पर लिखा है कि उसने 'जर बख्श' स्वर्ण- दाता का नाम प्राप्त किया । || ब्रिग्स - जि० ४, पृ० ३६; 'करीम अर्थात् दयावान्' । बर्ड - पृ० १६६ "जरबक्स" ** फरिश्ता जि० ४ पृ० ६९-७० ++ सूचीपत्र, गुजरात के सुलतान, पृ० २२ ++ एपि इन्डो- मो०, १९२६ - ३०, पृ० ३-५ रिवाइज्ड लिस्ट, पृ० २५३ |||| सूचीपत्र पृ० २२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003398
Book TitleRajvinod Mahakavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1956
Total Pages80
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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