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________________ अध्याय २ -- रीति-काव्य [ पृष्ठ ५७ की टिप्पणी का शेष ] २. नामों के प्राधार पर- तीनों नामों में कलानिधि शब्द सम्मिलित है। इस बात का निराकरण इस तथ्य से हो जाता है कि इनका नाम 'श्री कृष्ण भट्ट' था और 'कलानिधि' संभवतः इनकी उपाधि थी। ये महाशय कहीं केवल अपना नाम लिखते थे जैसा नं०१ पर, कहीं उपाधि अथवा उपनाम रखते थे जैसा नं०२ पर, कहीं-कहीं अपने नाम का अन्तिम ग्रंश 'लाल' कलानिधि के साथ जोड कर लाल कलानिधि बन जाते थे जैसा नं०३ पर। इन तीनों नामों को साधारण रूप से देखने पर भी इनमें कोई विभिन्नता प्रतीत नहीं होती। ३. ग्रन्थों में पाई गई सामग्री के आधार पर शृंगारमाधुरी में लिखा हैहुकम पाय नृप को सुकवि, सकल कलानिधि लाल । यह शृंगार रस माधुरी, कीन्हौं ग्रन्थ रसाल ॥ और उसी ग्रन्थ में लिखा है - संवत् सत्रह सौ बरस, उनहत्तर के साल। सावन सुदि पून्यौ सुदिन, रच्यो ग्रंथ कवि लाल ।। रामगीतम् के अंत में लिखा है श्रीकृष्णन कलानिधिना कविनैवं । कथितमुपासन विदलित देवं ।। युद्ध काण्ड मेंब्रज चक्रवर्ति कुमार गुन गनगहर सागर जानई। श्री रामचरण सरोज अलि परताप सिंह विराजई।' तेहि हेत रामायण मनोहर कवि कलानिधि ने रच्यो । तह युद्ध काण्ड वयासि में पुनि इंद्रजित गर्जन मच्यो । ऊपर दिए गए अवतरणों में 'कलानिधि' नाम किसी न किसी रूप में अवश्य पाया है। खोज करने पर पता लगता है कि ये महाशय प्रतापसिंहजी के दरबार में बहुत समय तक रहे थे और उन्हीं के संग्रह में ये पुस्तकें भी थीं। ४. रचना की एकता- कवि कलानिधि के नाम पर प्राप्त होने वाले ग्रन्थों का अध्ययन करने पर काव्य का एक-सा स्तर मिलता है। इनका रामायण का अनुवाद करना, रामगीतम् की रचना, तत्सम् शब्दों का प्रयोग इस बात के प्रमाण हैं कि ये संस्कृत के पंडित थे और इन अनेक ग्रन्थों का रचयिता एक ही होना चाहिये। ५. वैर से संबंधित लोगों का भी यही कहना है कि 'कलानिधि' नाम के कवि जो वैर वाले प्रतापसिंहजी के दरबार में थे, एक उच्च कोटि के कवि तथा पंडित थे और उनकी अनेक रचनाओं से मत्स्य प्रदेश विभूषित हुआ। उनका कलानिधि ना सर्वत्र प्रचलित पाया गया । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003396
Book TitleMatsyapradesh ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Gupt
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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