SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रध्याय १ - पृष्ठभूमि किया गया है । इसी आदि मत्स्य देश में पांडवों ने अज्ञातवास किया था । जयपुर राज्य के अंतर्गत 'बैराठ " और अलवर राज्य के अंतर्गत 'माचाड़ी' २, दो प्राचीन गांवों के नाम क्रमशः 'विराट' तथा 'मत्स्य' के प्रतीक अब भी विद्यमान हैं । मत्स्य के समीप ही जिस कुशला जनपद का उल्लेख है वह कुशलगढ़ भी माचाड़ी से बैराठ जाने के रास्ते पर है । महाभारत कालीन कुरुक्षेत्र में पटियाला से यमुना के पूर्व तक का देश भी इसमें शामिल था । अलवर राज्य के उत्तरी भाग तिजारा तहसील आदि कुरुक्षेत्र के अंतर्गत थे और शूरसेन के अंतर्गत मथुरा के आस-पास का प्रदेश, व्रज, अलवर का पूर्वी हिस्सा, रामगढ़, गोविन्द - गढ़ श्रादि, भरतपुर, धौलपुर के राज्य तथा करौली का बहुत अंश था । यही कुरुक्षेत्र तथा थानेश्वर का प्रान्त मत्स्य कहलाता था । कुरुक्षेत्र से दक्षिण तथा शूरसेन के पश्चिम में इसकी स्थिति थी । श्रतएव इन चार राज्यों को सम्मिलित करने पर 'मत्स्य' नाम बहुत उपयुक्त सिद्ध हुआ । विराट देश अति प्राचीन है। इसका उल्लेख चीनी तथा मुसलमान इतिहासकारों ने भी किया है ।" इस देश पर मुसलमानों के काफी हमले हुए और धर्मपरिवर्तन के लिए प्रत्याचार भी हुए । सम्राट अशोक के समय में बैराठ नगर अति समृद्धशाली था । राव बहादुर चिंतामणि विनायक वैद्य ने इसे शूरसेन के पश्चिम में माना है । शूरसेन की राजधानी मथुरा थी । वर्तमान विद्वानों ने यह लिया है कि राजपूताने का बैराठ ही प्रादि- मत्स्य या विराट देश है । विराट और मत्स्य ग्रति प्राचीन नाम हैं और उनका सम्बन्ध इसी स्थान से है । मत्स्य का इतिहास अति प्राचीन है । हमने इसका अभिप्राय ऊपर लिखे चार राज्यों से लिया है । २ मत्स्य- प्रदेश के ये चारों राज्य अपना-अपना अलग ऐतिहासिक महत्त्व रखते हैं । ये रियासतें अधिक प्राचीन तो नहीं, किन्तु जितने भी समय का इनका इतिहास मिल सका वह प्रत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । भरतपुर तथा धौलपुर जाटों की रियासतें थीं, और अलवर तथा करौली राजपूतों की । अलवर से जयपुर जाते समय मोटरों के रास्ते में सीमा पर स्थित । २ माचाड़ी अलवर राज्य में ही है और यहीं से अलवर के राजाओं का विकास हुआ। यह गांव आजकल राजगढ़ तहसील में पड़ता है । १ 3 महाभारत में I ४ काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका, भाग २, अंक ३ । ५ मत्स्य सरकार द्वारा बनाई गई ऐतिहासिक कमेटी की खोज । ६ हिन्दी विश्वकोष । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003396
Book TitleMatsyapradesh ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMotilal Gupt
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy