________________
२४६, रसानंद : संग्रामरत्नाकर - २५०, गीता के अनुवाद - २५४, सोमनाथ : भागवत दशमस्कंध - २५५, कलानिधि : उपनिषत्सार - २५६. रामकवि : हितामृत लतिका – २५७, देविया खवास : हितोपदेश अनुवाद - २५७, सुजानविलास - २६०, अनुवादसंबंधी कुछ बातें - २६० ।
अध्याय ८-उपसंहार
२६३ - २७२ खोज के आधार पर कुछ निष्कर्ष - २६३, मत्स्य के गौरवपूर्ण प्रसंग – २६३, नवधा भक्ति - २६४, बलभद्र की टीका -२६४, बख्तविलास - २६५, ध्वनि - प्रकरण - २६५, लक्ष्मण-उर्मिला-शृंगार - २६५, प्रेमरतनाकर - २६५, विचित्र रामायण - २६५, राधामंगल – २६६, व्याहुलौ - २६६, तीन नाटक - २६६, लाल-ख्याल - २६६, इतिहासप्रधान वीर काव्य : अनुवाद - २६६, भाषा-भूषण की टीका - २६७, चरणदासी साहित्य - २६७, रामगीत - २६७, गद्यसाहित्य - २६७, मत्स्य की वीर गाथाएं - २६८, भक्तिकाव्य - २६६, रीतिसाहित्य -
२७०, मत्स्य का गद्य-साहित्य - २७१, लिपि-संबंधी बातें - २७२। परिशिष्ट – १ कविनामानुक्रमणिका
२७३ - २८० परिशिष्ट -२ ग्रन्थनामानुक्रमणिका
२८१ - २८६ परिशिष्ट -३ कुछ अन्य कवि
२८७ - २६३ परिशिष्ट - ४ सहायक ग्रंथों की सूची
२९४ - २६६
Jain Education International
ernational
For Private & Personal Use Only
www.jainel
www.jainelibrary.org