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१९२ षडावश्यकबालावबांधवृत्ति
[$539-41 ). ७८२-८७ 8539) तउ राजा पश्चात्ताप संयुक्त हूंतउ पुरलोक राजलोक सहितु सुमित्र मंत्र' रहई खमावइ । बाहु साही करी इसउं कहइ, “ महामात्य ! तू तात समान प्रति मई पापिष्ठि जु अपराधु चीतविउ स पसाउ करी क्षिमि । तात जे किमई तउं व्रतु न करतइ तउ न जीवतइ ।तू पाखइ प्रभूत विभव
राज्यु मू रहई न होयतई। तिणि कारणि आजु कल्याणकारक पुण्यकर्म तणउं फलु प्रत्यक्षु मइं दीठउं। 5 चिरकाल संचितु धर्म विषइ मोहु मू रहई ऊतरिउ ।
सुकृतं जीवितव्यं ते व्रतेनानेन पोषितम् । शोषितं त्वत्कृतेनाद्य दुष्कृतं दुर्यशश्च मे ।।
[७८२] तत्सहस्वापराधं मे प्रसीद वद सात्त्विक । धर्मं कारय मां तात तारयाशु भवार्णवम् ॥
[७८३] 10 इसी परि राइ खमावतइ हूंतइ मंत्री भणइ, “ महाराज ! जु तू रहई एवडउ अनुतापु हूयउ, तिणि करी तू रहई अपराधु को नहीं"। तउ पाछइ राय तूठइ हूंतइ पुनरपि सर्वाधिकारमुद्रा सुमित्र रहई दीधी। सुमित्र प्रेरिति हूंतइ राइ पूर्णचंद्र गुरु समीपि गृहिधर्म मुद्रा लीधी । अथवा युक्तउं छइं, राइ अधर्मि हूंतइ संसारांगदेशमुद्रा महामात्य रहई दीधी। महामात्यि सधर्मि हूंतइ प्रत्युपकारकरण वांछा करी
राय रहई मोक्षांगदेश मुद्रा गुरु कन्हा दिवारी । तउ धर्मविषइ एकचित्तता हुई हूंती तीहं रहई धर्म 15 प्रोत्सर्पणा करता कालु जाई' ।
8540) सु वृत्तांतु जाणी करी अनेरइ दिनि शूरसेनु सुमित्रभयभीतु हूंतउ कांधि कुहाडउ करी राय नी सेव' करिवा आविउ। राइ सन्मानितु ढूंतउ भक्तु सेवकु हुयउ। राजा देवार्चा दान सुध्यान तीर्थयात्रा तीर्थप्रभावनादि धर्मकर्महं मंत्रि प्रदाशतहं करी आपण जन्म जीवितु पवित्रु करइ।
तत्र स्वामिनि बालोपि, चण्डालोपि न सो भवेत् । न यो जिनाधिनाथोक्तधर्मकर्मठतां गतः॥
[७८४] इत्थं मन्त्री च भूपश्च, कृत्वा धम्म विशुद्धधीः। महाविदेहे मर्त्यत्वं प्राप्य लेभे शिवश्रियम् ॥
[७८५] ततः सुमित्रदीपेन गमितेऽस्मिन् प्रकाशताम् । देशावकाशिकपथे सञ्चरन्तु सुखं बुधाः॥
[७८६] इति देशावकाशिकवत विषइ सुमित्र मंत्रिवर कथा समाप्ता। $541 ) अथ पौषधव्रतु भणियइ।
धर्म तणउ पोषु पुष्टि करइ तिणि कारणि पौषधु कहियइ । सु पुण चतुःपवीं विधेउ अनुष्ठानु विशेषु तथा चाह
चतुःपयां चतुर्धा हि कुव्यापारनिषेधनम् । ब्रह्मचर्य-क्रिया-स्नानादित्यागः पौषधव्रतम् ।
[७८७] पौषधग्रहण विधि प्रस्तावि सिद्धांतालापक पुग पर्वदिवसिहि जि पौषधु करीवउँ इसा अर्थ विषा लिखिया छई ईहां इणि कारणि न लिखियाई तेइ जि ईहां समरिवा।
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P.-देइ। 6 B
5539) 1 P. omits. 2. P.क्षमि । 3 Bh. होइतह। P. होयत। 4 B. P. omit.5
___P. कारण। 7 Bh. जायइ। 8540)1 Bh. सेवा। 2 Bh. अपणउं ।
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