________________
उपस्थापनाविधि।
२९ साहुणो वंदइ । अजिया सावया सावियाओ वि तं वंदति । पुणो खमासमणं दाउं भणइ -'इच्छाकारेण तुम्हे अम्हं दिसिबंध करेह' । गुरू भणइ -'करेमो' । तओ सीसस्स आयरिओवज्झायरूवो दुविहो दिसिबंधो कीरए । जहा-चंदाइयं कुलं, कोडियाइओ गणो, वइराइया साहा, अप्पणिञ्चया गुरुणो आयरिया उवज्झाया य । गच्छे य उवज्झायाभावे आयरिया चेव उवज्झाया । साहुणीए अमुगा पवत्तिणीय ति तिविहो । तम्मि दिणे जहासत्तीए आयामनिधियाइ तवो कारिजइ । तओ खमासमणपुष्वयं सीसो गुरुं भणइ-। 'तुन्भे अम्हं धम्मोवएस देह' । पुणो खमासपणं दाउं जाणूहिं ठिओ सीसो सुणइ । गुरू य नायाधम्मकहाअंग-पढमसुयक्खंध-सत्तमज्झयणस्स रोहिणीनायस्स अत्थओ वक्खाणं करेइ । सो वि संवेगाइसयओ तहा सुणेइ, जहा अन्नो वि को वि पञ्चयइ । रोहिणीनायं पुण सुपसिद्धं । तस्स य अत्थोवणओ एवं६३३. जह सिट्ठी तह गुरुणो जह नाइजणो तहा समणसंघो।
जह वहुया तह भवा जह सालिकणा तह वयाइं ॥१॥ जह सा उज्झियनामा उज्झियसाली जहत्थमभिहाणा। पेसणगारित्तेणं असंखदुक्खक्खणी जाया ॥२॥ तह भषो जो कोई संघसमक्खं गुरुविइन्नाई। पडिवजिउं समुज्झइ महत्वयाइं महामोहो ॥ ३ ॥ सो इह चेव भवंमी जणाण धिक्कारभायणं होइ ।
परलोए उ दुहत्तो नाणाजोणीसु संचरइ ॥४॥ उक्तं च-धम्माउ भट्ट सिरिओववेयं जन्नग्गिविज्झायमिवप्पतेयं ।
हीलंति णं दुविहियं कुसीला दाढोद्वियं घोरविसं व नागं ॥५॥ इहेव धम्मो अयसो अ कित्ती दुन्नामधिज्मं च पिहुजणंमि। चुअस्स धम्माउ अहम्मसेविणो संभिन्नचित्तस्स उ हिडओ गई॥६॥ ॥ जहवा सा भोगवई जहत्थनामोवभुत्तसालिकणा। पेसणविसेसकारित्तणेण पत्ता दुहं चेव ॥७॥ तह जो महत्वयाइं उवभुंजइ जीविय त्ति पालिंतो। आहाराइसु सत्तो चत्तो सिवसाहणिच्छाए ॥८॥ सो इत्थ जहिच्छाए पावइ आहारमाइ लिंगि त्ति । विउसाण नाइपुजो परलोगम्मी दुही चेव ॥९॥ जहवा रक्खियवहुया रक्खियसालीकणा जहत्थक्खा । परिजणमन्ना जाया भोगसुहाई च संपत्ता ॥१०॥ तह जो जीवो सम्म पडिवजित्ता महत्वए पंच । पालेइ निरइयारे पमायलेसं पि वजंतो॥११॥ सो अप्पहिइकरुई इहलोयंमि वि विऊहिं पणयपओ। एगंतसुही जायइ परंमि मोक्खं पि पावेइ ॥१२॥ जह रोहिणी उ सुण्हा रोवियसाली जहत्थमभिहाणा। वड्डित्ता सालिकणे पत्ता सबस्स सामित्तं ॥ १३ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org