________________
उपधानप्रतिष्ठाप्रकरण।
अह भूरि मयविरोहा पमाणया नो महानिसीहस्स। लोइयसत्थाणं पिव तहाहि तम्मी अणुचियाई ॥११॥ सत्तमनरयगमाईणि इत्थियाणं पि वणियाई ति। तन्न लिहणाइदोसा संति विरोहा' सुए विजओ ॥ १२ ॥ आभिणियोहियनाणे अट्ठावीसं हवंति पयडीओ। आवस्सयम्मि वुत्तं इममन्नह कप्पभासम्मि ॥ १३॥ नाणमवायधिईओ दसणमिटं च उग्गहेहाओ। एवं कह न विरोहो विवरीयत्तेण भणणाओ॥१४॥ किंच-गइ-इंदियाइसु दारेसु न सम्मसासणं इह । एगिदीणं विगलाण मइ-सुए तं चऽणुन्नायं ॥१५॥ सयगे पुण विगलाणं एगिदीणं च सासणं इ8।। न पुणो मइ-सुयनाणे तहेवमावस्सए वुत्तं ॥ १६ ॥ सीहो तिविद्वजीओ जाओ सत्तममहीओं उबहो। जीवाभिगममएणं मीणत्तं चेव सो लहइ ॥ १७॥ नायासुं पुवण्हे दिक्खा नाणं च भणियमवरण्हे । आवस्सयम्मि नाणं बीयम्मि दिणम्मि मल्लीस्स ॥१८॥ छउमत्थप्परियाओ सड्ढछम्मास-बारससमाओ। मग्गसिर किण्हदसमी दिक्खाए वीरनाहस्स ॥ १९ ॥ वइसाहसुद्धदसमी केवललाभम्मि संभविज कहं । इय 'सत्थेसुं बहवो दीसंति परोप्परविरोहा ॥ २०॥ तस्संभवे वि आवस्सयाइँ सत्याइँ जह पमाणाई । तह किं महानिसीहं धिप्पइ न पमाणबुद्धीए ॥ २१ ॥ अह पंचनमोकाराइयाणमुवहाणमणुचियं भिन्नं । आवस्सयस्स अंतो पाढाओ तहाहि सामइयं ॥ २२॥ नवकारपुवयं चिय कारइ जं ता तयंगमेसो ति। अन्नं च इत्थ अत्थे पयडं चिय कित्तिअं एयं ॥ २३ ॥ नंदिमणुओगदारं, विहिवहुवरघाइयां च नाऊणं । काऊण पंचमंगलमारंभो होइ सुत्तस्स ॥ २४ ॥ इय सामाइयनिजुत्तिमज्झमज्झासिओ इमो ताव । पडिकमणे य पविट्ठो इरियावहियाऍ पाढो वि ॥ २५॥ अरिहंतचेइयाण य वंदणदंडो सुयत्थओ य तहा।
काउसग्गज्झयणे पंचमए अणुपविट्ठो ति ॥ २६॥ 1 B विरोहो। 2 B°मितं । 3 B °कण्ह। 4 B सुत्तसुं। 1 विधिपथोद्धातिकं उपन्यास इत्यर्थः ।' इति A टिप्पणी।
विधि०३
.
25
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org