________________
२३
[४]
संक्षिप्त जीवन चरित्र तेर पंचासियइ पोससुदि आठमि सणिहिं वारे । भेटिउ असपते महमदो सुगुरु ढीलियनयरे ॥२॥ आपुणु पास बइसारए नमिवि आदरि नरिंदो । अभिनव कवितु वखाणिवि राय रंजइ मुणिंदो ॥ ३॥ हरखितु देइ राय गय तुरय धण कणय देस गाम । भणइ अनेवि जे चाहहो ते तुह दिउ इमा(म?) ॥४॥ लेइ णहु किंपि जिणप्रभुसुरि मुणिवरो अति निरीहो । श्रीमुखि सलहिउ पातसाहिं विविहपरि मुणिसीहो ॥५॥ पूजिवि सुगुरु वस्त्रादिकिहिं करिवि सहिथि निसाणु । देइ फुरुमाणु अनु कारवइ नव वसति राय सुजाणु ॥६॥ पाटहथि चाडिवि जुगपवर जिणदिवसुरि समेतो । मोकलइ राउ पोसालहं वहु मलिक परिकरीतो ॥ ७॥ वाजहि पंच सबुद गहिरसरि नाचहि तरुण नारि । इंदु जम गईद सठितु गुरु आवइ वसतिहिं मझारि ॥८॥ धंमधुरधवल संघवइ सयल जाचक जन दिति दानु । संघ संजूत बहु भगति भरि नमहिं गुरु गुणनिधानु ॥९॥ सानिधि पमिणि देवि इम जगि जुग जयवंतो। नंदउ जिणप्रभसूरि गुरु संजमसिरि तणउ कंतो ॥१०॥
॥जिनप्रभसूरीणां गीतं ॥ के सलहउ ढीली नयरु हे, के वरनउ वखाणू ए । जिणप्रभुसुरि जगि सलहीजइ, जिणि रंजिउ सुरताणू ए ॥ १ ॥
चल सखि वंदण जाह, गुण गरुवउ जिणप्रभुसुरि । रलियइ तसु गुणगाह, रायरंजणु पंडियतिलओं ॥ आंचली ॥
आगमु सिद्धंतु पुराणु वखाणिइ, पडिबोहइ सब लोई ए । जिणप्रभसुरि गुरु सारिखउ, हो विरलउ दीसइ कोई ए ॥२॥ आठाही आठमिहि चउथी, तेडावइ सुरिताणू ए। प्रहसितु मुख जिणप्रभुसुरि चलियउ, जिम ससि इंदु विमाणू ए ॥ ३ ॥ असपति कुदुबुदीनु मनि रंजिउ, दीठलि जिणप्रभसूरी ए । एकतिहि मन सासउ पूछइ, रायमणोरह पुरी ए ॥ ४ ॥ गामन्तरिय पटोला गजवल, रूढउ देइ सुरिताणू ए। जिणप्रभसुरि गुरु कंपि न
न ईछइ, तिहुयणि अमलिय माणू ए ॥ ५॥ ढोल दमामा अरु नीसाणा, गहिरा वाजइ तूरा ए।
इणपरि जिणप्रभसुरि गुरु आवइ, संघमणोरह पूरा ए ॥ ६ ॥ [५] मंगल सीधिहि मंगल साहू मंगलु आयरिय मंगल च[उ] विहसंघ पर देवाधिदेवा ।
मंगल राणिय तिसलादेविहि वीरजिणिंदहं जा जणणि । मंगल सबसिधंतपरा मंगल वहु लपमीइ मंगलु चविह संघ पर देवाधिदेवा ॥ आंचली । मंगल रायहं कुमरहपालहं जेणि पलाविय जीव दया । मंगल सूरिहि जिणप्रभसूरिहि वाव(च !)गजी भडिया ॥
॥ मंगल गीतं ॥ [६] श्रीजिनदेवसूरि गीतनिरुपम गुणगणमणि निधानु संजमि प्रधानु, सुगुरु जिणप्रभसुरि पट उदयगिरि उदयले नवल भाणु ॥१॥
वंदहु भविय हो सुगुरु जिणदेवसुरि ।
ढिल्लिय वर नयरि देसण अमिय रसि वरिसए मुणिवरु जणु घणु ऊन विउ ॥ आचली ॥ जेहि कनाणापुर मंडणु सामिउं वीरजिणु । महमद राइ समप्पिउ थापिउ सुभ लगनि सुभदिवसि ॥ २ ॥ नाणि विनाणि कलाकुसले विद्यावलि अजेओं। लखण छंद नाटक प्रमाण वखाणए आगमि गुणि अमेओं ॥३॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org