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________________ विधिप्रपाग्रन्थान्तर्गत-अवतरणात्मक पद्यानामकारादिक्रमेण सूचिः। 9 0 अज्झयणं नव सोलस ... ... . ५८ | उ०नि०आ०नि०आ०नि० उ० इगेग ... ६७ अट्ठमतवेण नाणं | उन्मृष्टरिष्टदुष्टप्रह. अट्ठावय-उजिंते | उम्मायं व लभिज्जा अणुजाणह परमगुरू | उवहणइ रोगमारी अणुजाणह संथारं २० एयगुणविप्पमुक्के अणुवट्ठावियासहं ३८ एव पवत्तिणिसहो अधिवासितं सुमत्रैः ... १०० एवं जोगविहाणं अन्नन्नदेसाण समागयाणं ... ११८ एवं नाऊण सया १०४ अन्नोन्नसाहु-सावय० ... ओ०रा०जी० पण्णवणा ... अप्पाहार अवड्डा ... कप्पियपयत्थकप्पण अभिनवसुगन्धिविकसित. कमलवने पाताले १०४ अरिहिं देवो गुरुणों कम्मक्खओवसमेणं अव्यङ्गामञ्जलिं दत्त्वा ... कयकप्पतिप्पकिरिया अस्सिणि-कित्तिय० कल्लाणकंदकंदल. अहो जिणेहिऽसावज्जा कालो गोयरचरिया आइएँ पणगं चउसु | काश्मीरजसुविलिप्त आयरिय उवज्झाए | किं पुण एगंतिय० आयरिया इह पुरओ कीरंति धम्मचक्के आवस्सयंमि एगो कुम्भानामभिमश्रणं आवाए संलोए... खामेमि सबजीवे इकासणाइ पंचसु गन्धाङ्गनानिकया ... १०० इणमेव महादाणं गहिऊण य मोकाई इन्द्रमनिं यमं चैव गिहिधम्मे चीवंदण इय अट्ठारसभेया गीयत्था कयकरणा इय पडिपुग्नसुविहिणा गुरुपरिधापनापूर्व० इय मिच्छाओ विरमिय ... चउहा अणत्थदंड इय लोए फलमेयं ... ... ४८ चक्रे देवेन्द्रराजैः उकोसेण दुवालस ... ... ४२ चतुःषष्टि समाख्याता उ०नि०आ०नि०आ०नि०आ० चत्तारि परमंगाणि उ०नि०आ०नि०आ०नि० उ०इगट्ठ ... ६७ चिइवंदण वेसऽपण .... Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003393
Book TitleVidhi Marg Prapa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2000
Total Pages186
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size12 MB
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