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परिशिष्ट २ (ख) क्रमाङ्क पृष्ठाङ्क पद्याङ्क । कृ०
पृ० प. छन्द पधरी-अनुक्रम
४ बतलायो ईम केहरि बडाल, कोप्यो १ उपजी कोडी धज घरि प्राय, लषमी
क प्राय जमजाल काल -६६ चंद मन उछव लगाय २-१४ २ उपत जगमंदर जगनिवास, पर दोहन- ५ भयो प्रातकाल परकास भान, बन को शोभा प्रकास २६-२३१ पंषोजन बोलत्त बांण ६-६५
क ३ कोप्यो क अब प्रोहित कराल, जग्यो ६ वणि महल सपतषंड गगनवाट, कण
क सोर ढिग अगन ज्वाल ३७-२६८ __ हेम जटत चंदण कपाट - २१-१७१
भ
परिशिष्ट २ (ख) वात रीसालूरी
दहा-अनुक्रम
१ अगन सरण ताहरो करू ११०-२०३ २ अगर चंदणरा ज(ल) कड़ा (टि.)
११३-२८ ३ अगर चदन करी एकठा (प.)
२०५-६४ ४ अपुत्रस्य गतं नास्ती (टि.) ५२-२ ५ अपुत्रस्य गृहं सुन्यं (टि.) ५२-१ ६ अब बेगा मिलज्यौ हठमला
१०६-२०० ७ अब वसन्त ही प्रावही (टि )
१४३-७४ ८ प्रमी छडक्का नांष कर (प.)
२१०-६६
९ अमृतवेली जो चरौ ६१-११७ १० अमृत वेलो वावीसो (प.) २०२-४८ ११ अवगुणगारी गोरडी (प.) २०५-६५ १२ अवे प्रांबो उवे प्रा' (प.) २१५-५८ १३ अहौ-ग्रहौं रैणी वीगती ११६-२५३ १४ अहो रीसाल कुंवरजी १०६-१८१ १५ प्राइयो लेष पालाहका १००-१५८ १६ पाईयो कुंवरजी प्रावीया १०१-१५६ १७ माछो कापड चोल रंग (प.)
२०४-६१ १८ आज उजाडा देसमै ६६-१४६ १६ आज कुंवरजी रीसालूवा १२३-२६८ २० प्राज मेहिल पाछौं वणौ ९७-१५१ २१ प्राज रूपाली रातडी १२२-२६५ २२ प्राज सलूणी रातडी ११६-२३१ २३ अाज सूरज भल उगीयो १३२-३०७
न प्रति भलो १५-१४०
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