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________________ बात रीसालूरी [६१ ८. वारता-हीवै जानरी सझाई करी। वडा वडा उम्राव साथै कीया। भेला केसरीषा(या) कसूवा सीरपावै करया। भेला गेहणासं जंडाव जडीयौ छ। सौभा सूरजैरी कीरणरी जलाहल लाग रही छै । तुरंग सोनारी साष ते करी सोभैतै, वडा वडा हाथी सीणगारयौ छै। दूहा- हय गरथ सीणगारीया, गुधरैरा धमकार बे। षांडो मेघाडंबरै, बेसारथौ सूषकार बै ॥ २१ चढीया सहु जानीया घरणा, जांनी कोधां बनाव बै। मलपंता मोजो थका, देतां नगारां घाव बे ॥ २२ उजेरणीपूर अावीया, संभेला सिणगार बै। बांह पासावे सहु मील्या, सगली धरी मनवार बै ॥ २३ जाचक जै जै बोलीया, मे आगम जिम मोर बे। दांन करी राजी कीया, तोरण बांध्या तोर बे ॥ २४ राजा भोजजी .......", पूछ वात उदार बै। कवर नईको कारण, मंत्रीसर तिण वार बै॥ बात क सारा नृप सूरणी, राजी मन घर धयै [ध्यार]बै २५ हीव चवरी मंडप तणे, फैरा लीया च्यार बे। दत्त घरणा वड दायचा, दीधा राज अपार ये ॥ २६ तीहांथी मान नपत तरणी, चंवरी पूंहता जाय बै। पूरब बिध सहु जारणज्यौ, हरष मगल फूरमाय बै ॥ २७ गाव मंगल नारीयां, परण्यौ षांड्यौ नार बे। दत्त घणा नृप पापीया, कर कर बहु मनवार ॥ २८ जाचक बहु धन पोषीयो, सरीष किवी सारी जांनै बै । चलतां पाया प्रांपरणौ, नगर वधाई मान बै ॥ २६ ख. तठा पछे राजाइ जोतषीनु बोलाया। आछा लग्न जोवाडीया । ब्याव मांडीयो। राजाए पोतारा उबरावा साथे रसालुरो षांडो मेलीयो। उबरावे पांडासु रसालुजीरे दोय रांणीयां परणे लाया। ग. घ. तदी प्रापरा उमराव षांन (घ. वाषो) सुलतांण, मुंगलां, पठाण रसालुरा (घ. समसत राजा कुंवरजीरा) हाथरो षडग मोकल्यो (घ. षंजर दोघो)। परणी ल्याया (घ. जान करे हाथीरी प्रांबावाडीमै छ सो षंजरसु पर परणी ल्याया)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003392
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakshminarayan Dixit
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1966
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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