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बात रीसालूरी
[ ५७ दूहा- थाल भरी वाल चांवला, लहै कटौरे होय वै ।
पडित पूछ वरण मछली, पूत्र सहै कीध यक बै ॥ १२A
६. वारता-(अबे गरभ पालणा करतां नव महीना हवा, साढा सात दीन गया थका पूत्र जनमीयौ। श्री गोरषनाथजीरी वाचासू रीसालू नाम दीधी। घररा प्रोहित ते डेरे गया छै)।
अथ' दूहा-वाजा छत्रीस वाजीया, पली' वाज्यौ' थाल बै।
राजा घर पुत्र जनमीयो , रजवटकै रषवाल बै ॥ १३ राजा मिल नाम थापीयो , कवर' रीसालनांम'' बै। घर घर रंग'२ वधावरणा, नप 3 घर मंगल गांम१४ बै१५ ॥ १४ [नांटिक छंद गुण गाजीया, गोरी गाव गीत बै। पान सूपारी बाटता, धन अजूनो प्रादीत वे ॥ १५ मांगरणहारा मंगता, दोजै त्यूंनू दांन बे। पंडित वेली ज्यौतसी, वधतो वधारो मान बे ॥ १६ होव धरे जोतसी तेडीया, वेला लेवरण धाम बे।। प्राया राजा पागले, साझे अपरणा काम बे ॥ १७ लगन लेई नै जोईयो, मोहरत रूडो न होय बे। अगम तिगण सासौ लहौ, राजानै कहै जोय बे ] ॥ १८
A-यह दूहा ख. ग. घ. प्रतियों में नहीं है। (-)कोष्ठकान्तर्गत पाठ अन्य प्रतियों में इस प्रकार है----ख. नव मास साढी सात दोन पुत्र रो जनम हुउं । गोरषनाथजी रो वचन फल्यो। ग. घ.-महीना साढा सात दीन ७ जातां (घ. महीना प्रतीपुर हुवा तदी) पुत्र हो । गोरषनाथजीरी रसालर नांमै रसालुकूवर (घ. रीसालु) नाम दीधो। घररो परोहीत (घ. प्रौहीत) बुलायो।
१. ग. पडावाक । ख. ग. में नहीं है। ख. २. दुहो। ३. ख. वाजो। ४.ख. छत्री से। ५. ख. पेली। ख. वाजी। ७. ख. समस्त । ८. ख. जनमीया । ६. ख. समस्त घर पुत्र जनमीया। १०. ख. भया। ११. ख. रसालु । १२. ख. पाणंद । १३. ख. घर । १४ ख. च्यार। १५ ग. घ. प्रतियों में १३ वें और १४ वें दूहे की जगह उलट फेर से एक ही दूहा निम्न रूप में मिलता है
. समस्तपुर पुत्र जनमीयो, भया रीसालू नाम बे ।
घर घर पाणंद वधावणा, घर घर मंगल चार बे ॥ [-] कोष्ठकान्तर्गत दूहे ख. ग. घ. प्रतियों में अनुपलब्ध हैं।
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