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________________ प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात [ ४१ . बणसटियांरा ढोल' । महताबां छीकादार अरु चोरमार' । जिकां पर आदमी तईनात पयादा अर असवार । गोफणियांरी देणी च्यारु तरफांसू भाट-भोट" । जिकारै बीच-बोच फिरंगी हुकारी" पण चोट । सुरंगा उडावणरो मुसालो' । तिका लीन्हा हाजर फिरंगी रसालो । जिका फिरंगी हीज गोलंदाज । ज्यां आगै गढ तोड़बारा केई ईलाज । गढ तोड़बारा जूनां ने नवां उपाव' । तिकांरी तयारी करै रावत लागो थको चाव । घणा समर-पंडित तिके नवां नवां अषरा करै । त्यांनूं देषिया नै सुणयां बडा बडा गढपती थरहरै । भांत भांतरा ईलाज साजरी नवी नवी उपंगा उठावै । जके उणहीज बेळा नवी नवी रीझां मोजां पावै। जको म्होकमसिंघ सारो सराजाम आंणनै दीठो। सो भो तो सदाई रोषातो नै निरकुरतो दोठो । तिका देषनै मन मांहि इण भांत आणी। रावतजी तो ईतरो घाट कीधो पण म्हे तो देषता ही गढ उड पड़स्यां। जिण भांत उड पड़े बेदाणी"। प्रो तो थाट सारो पड़यौ हीज रहसी । उठे तो कूद पड़िया पछै कोरड़ी तरवार हीज बहसी । १. बणसटियांरा ढोल - बणके (कपासके पौधोंके) ईठलोंके भार । सं० वणयष्टि । २. महताबा'' 'चोरमार - महताबें जिनको लटका कर प्रकाशित किया जाता और चोरोंको मारा जाता। ३. पयादा अर असवार -पैदल और घुड़सवार । ४. गोफणियारी - गोफनोंकी, पत्थर फेंकनेका एक साधन । ५. भाट-भोट – बहुत, लगातार, तडाभड़ी। ६. फिरंगी हुकारी - हुक्केकी प्राकृतिके विलायती शस्त्रकी। ७. मुसालो - मसाला, बारूद प्रादि । ८. फिरंगी रसालो - विलायती अश्वारोही सैनिक टुकड़ी। ६. गढ'''उपाव – गढ़ तोड़नेके प्राचीन और नये उपाय । तब तक कई यूरोपीय शस्त्र और अन्य युद्धके साधन भी भारतमें प्रचलित हो गये थे। १०. अषरा - अक्षर, लिखित योजनासे अथवा अखाड़ा या व्यूह-रचनासे तात्पर्य है। ११. उपंगा - उपाङ्ग, युद्ध-सज्जाके विभिन्न अङ्गोंसे तात्पर्य है। १२. सराजाम आंगनै दीठो- सरंजाम अर्थात् सामान और प्रबन्ध पाकर देखा। १३. रोषातो 'दीठो - रोषाक्त, क्रोधी, बड़बड़ाने वाला और हठी। १४. ईतरो- इतना। १५. बेदाणी -बाज पक्षी । १६. कोरड़ी बहसी- केवल तेज तलवार ही चलेगी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003391
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottamlal Menariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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