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प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात अर भीलनै षबर हुई । म्होकमसिंघ इण बनीमै आदमी दोयसू आयो छ। सो ओर तो कांम कोय दीस नही मोनें ही मारणY ध्यायो छै। पण अबरकै षबर पड़सी। देषां किण बाय मोसू अड़सी' । तीन आदम्यांरी कासूं बात । जिके मो सारीसा छळ बळ दाव जाणे जिकणसू' करै घात ।
ईतरी बात धार रावत प्रतापसिंघ- कहायो। ईसा दावांसू तो हूं न मरस्यूं । प्रो म्होकमसिंघ जीकुं हांसीमैं11 जहर चार्ष छै'। मैं तो मोटा सिरदार छ । पण ठीकरी घड़ान फोड़ न्हापै छ । सो म्होकमसिंघ तो बड़ी धक' अर तलासमैं लाग रह्यो छ । झाड़ झाड़ पहाड़ पहाड़ हेरतां थकां रात दिन एक सौ क्रोधमै जाग रह्यो छै। पण एक दिन ईसड़ो दईव संजोग हुवो सो म्होकमसिंघ तो हिरणरी सिकार मूळ'' बैठो थौ। अर साथरो रजपूत हिरण टोळबानें बन
१. बनीमै - वन में। २. प्रादमी दोयसू - दो प्रादमियोंके साथ। ३. कोय दीस नही - कोई दिखाई नहीं देता। ४. मारगनुं ध्यायो छै - मारनेको दौड़ा है। ५. अबरक - अबकी बार । ६. वाय-भांति, तरह। ७. मोसू अड़सी - मुझसे पड़ेगा, मुझसे लड़ेगा। ८. सारीसा - जैसे। ६. जिकणसू- जिससे । १०. दावांसू- दावों से, चालोंसे । ११. हांसीमैं - हंसी में। १२. चाष छ- चखता है। १३. ठीकरी "न्हा - मिट्टीके बर्तनका एक छोटा टुकड़ा भी घड़ेको तोड़ देता है। एक ___ कहावत है, जिसका तात्पर्य है कि सामान्य व्यक्ति बलवानको हरा सकता है। १४. धक - जोश, उत्साह । १५. हेरतां थकां - ढुंढते हुए। १६. दईव संजोग - देवयोग । १७. मूळ – शिकारगाह, शिकार करनेका स्थान । १८. टोळबाने -घेरने के लिये। शिकारमें जानवरको घेरा डाल कर या प्राधाज कर
शिकारगाहके पास लाया जाता है।
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