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________________ जालोर युद्ध - १ कवि पद्मनाभकृत-कान्हडदे प्रबन्ध (र.का. १५१२ वि० सं०) २ अज्ञातकर्तृक-वीरमदे सोनीगरारी वात (ले का. वि० सं० १७६१) सिवाना युद्ध के विषयमें अब तक कोई रचना प्रकाशमें नहीं आई है। अल्लाउद्दीनके उक्त युद्धोंके विषयमें राजस्थानी भाषामें अनेक वीर गीत, कवित्त, दूहादि भी चुर मात्रामें प्राप्त होते हैं, जिनमेसे अधिकांश अप्रकाशित हैं। 'वीरमदे सोनोगरारी बात' के हमें ४ पाठ उपलब्ध हुए हैं। इनका परिचय निम्नलिखित है प्रति-क. राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुरके हस्तलिखित ग्रन्थसंग्रहमें गुटका क्रमाङ्क ३५५५में पत्र सं० १६२से १६८ तक लिखित । लेखनकाल वि० सं० १८२६ । प्राकार ११४६५ इन्च । प्रतिपृष्ठ पंक्ति संख्या ३२ । प्रति पंक्ति अक्षर संख्या २८-२६ । यह पाठ प्राचीन कृतियों के साथ शुद्ध रूपमें लिखित है अतः इसको आदर्श मानते हुए पूर्ण रूपमें लिया गया है। प्रति-ख. राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान, जोधपुर के हस्तलिखितग्रन्थसंग्रह में गुटका क्रमांक १२७०६ में १३ पत्रों में लिखित । प्राकार ६४५.४ इन्च । प्रति पृष्ठ पंक्ति संख्या १६ । प्रति पंक्ति अक्षर संख्या ३६-४० । इस गुटके में दो कृतियोंके अन्तमें लेखनकाल वि० सं० १७६१ दिया हुआ है अतः लिपि भिन्नता होते हुए भी 'वीरमदे सोनीगरारी वात' का लेखनकाल भी यही ज्ञात होता है । इसके विशेष पाठातर टिप्पणियोंमें दिये गये हैं। प्रति-ग. राजस्थानी ग्रन्थमाला, पिलानीके, प्रथम ग्रन्थ स्व० श्रीसूर्यकरणजी पारीक द्वारा सम्पादित 'राजस्थानी वातां' में, सन् १९३४ ई० में प्रकाशित चतुर्थ वार्ता । यह पुस्तक अब अप्राप्य है। वार्ता प्रतिलिपिकर्ताको भूलसे कुछ अंश छूट गये हैं। साथ ही वार्ता सम्बन्धी विशेष विवरण भी नहीं दिया गया है । यह पाठ किस हस्तलिखित प्रतिसे ग्रहण किया गया है, यह भी नहीं लिखा गया है। इसके विशेष पाठान्तर भी टिप्पणियोंमें ग्रहण किये गये हैं। प्रति-घ. राजस्थानी शोध-संस्थान, चोपासनी, जोधपुर के हस्तलिखित ग्रन्थ-संग्रहमें क्रमाङ्क १२५ पर लिखित गुटका । प्राकार ६४५ इन्च । प्रतिपृष्ठ पंक्ति संख्या १४ । प्रतिपंक्ति अक्षर संख्या १५-२० । लेखनकाल 'संवत १८३६ वर्षे फागुण वदि ११ बुधवासरे श्रीगुंदवच नगर मध्ये। यह प्रति हमें श्रीयुत नारायणसिंहजी भाटीके सौजन्यसे प्राप्त हुई है। प्रयत्न करने पर भी यह प्रति हमें सम्पादनके समय नहीं मिल सकी अतएव इसका विशेष उपयोग नहीं किया जा सका। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003391
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottamlal Menariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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