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वीरमदे सोनीगरारी वात दुहौ - सुध पूछ सुरताण, कोलाहल केहो कटक ।।
कै हाथी ठाण उथंडीयौ', के रीसबोयो राण ॥ १ पातसाहन मालम हूई। तगान मारने रांणगदे भागो। लारै तो बावीसी विदा कोधी नै कह्यौ। तुमारै लार मै आया। जलदी करीयो। जांण न पावै ।
दिलीसुं रांणगदेजी घडी ४ दिन चढतै नीकल्या सो रात घडी ४ थाकतां सोझतसुं कोस ६ प्राथवणी कांनी आया । ____ तरै डोकरी' १ गोबर वीणती थी तिणने पूछीयो। डोकरी तै कांइ वात सुंणी। तरै डोकरी कह्यौ। बेटा ! रांणगर्दै तगांनै मारने निकलीयो । वांस बाबीसी चढी छ ।
इतरो सुणनें रांणगदेजी कह्यौ। फिट भीथडा । तो पैहला वात आई।
फिटकारो सुणतां घोडारो प्रांण छूटो तिणरै नाम गांव झीथडो कहीजे छ । आगै तो तूरकारी ढाणी थी। प्रागै सिकोतरीनै11 कह्यौ।
१. के."उथंडीयो - या तो हाथी अपने स्थानसे छूट भागा है। २. के रीसवीयौ रांग - अथवा रांणगदे क्रोधित हुआ है। ३. बावीसी- सेनाको बाईसों टुकड़ियां । बादशाहों और राजानोंके यहां विविध महक्मों
के २२ विभाग रखनेकी प्रथा रही है। ४. तुमार लार''न पावै - प्रस्तुत अंश पर खड़ी बोलीका प्रभाव है। ५. थाकतां-थकते हुए। ६. पाथवरणी कांनी- पश्चिमकी अोर । राजस्थानी भाषामें चारों मुख्य दिशानों के नाम इस प्रकार हैं- १ ऊगमण (पूर्व), २ प्राथमण (पश्चिम), ३ घराऊ (उत्तर), ४ लङ्काउ (दक्षिण)। ख. प्रतिमें 'रात 'कांनी पाया' के स्थान पर यह पाठ है-'राति घडी ४ पाछली यकां
रोहीट गांवसुं उरै कोस ४ एक गांव पायौ' । ७. डोकरी-बुढ़िया। ८. वीणती- चुनती, एकत्रित करती। ६. वांस-पीछेसे। १०. फिट झीथडा-झीथडा घोड़े ! धिक्कार है । झीथड़ा गांव जोधपुर डिविजनमें है । ११. सिकोतरीनै - शाकिनी (एक प्रकारको तांत्रिक स्त्रीको) अथवा शकुनोत्तरी,
भविष्यवाणी करने वालीको ।
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