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________________ वीरमदे सोनीगरारी वात [८६ षुरसाणरा पांडा तूट पडीया' । पठाणजादा हार छूटा। भैंसो मरे न्ही। मास ५७ राषनें सिरपाव देनै पाछी सीष दोधी। सो हालत ता] हालता' जालोर आय उतरीया। तिसै वीरमदेजी वाग पधारता था नै विचै जमरांणारो देठालो हूवो नै भैसारो तमासो देषनै वीरमदेजी उभा रहीने पूछीयो । मीयां भैसो कठै ले जावो छौ। तरै सिपाई बोलीया । बालकरै पातसाह दिलीरा पातसाह कन्है मारणनै मेलीयो थो सो किणहीसु मुवो न्ही । पातसाह न्ही है पटैल' राज करै छै। इसो सांभलनै वीरमदेने रीस चढी' तीको पूठासु प्रायनै तरवार व [वा] ही सींगां नै पूठा विचै तिणसुं माथो तूंट पडीयो। बलकरा सिपाई वाह २ कहिनें वीरमदेनै देषता हीज रह्या । भैंसो मारनै वीरमदेजी गढ सिधाया । भैंसा वाला सिपाई पाछा दिली आया नै भैंसारो माथो पातिसाहन दिषायो। तरै कहीयो हजरत एसा सिपाई हजूरमै राषीजै । वीरमदे कंवर भैसानै मारीयो सो जांणीजै बकरानै लोह कीधो । पातसाह षुस्याल हवा । बलकरा सिपाइ बलक गया। १. थेट''तूट पडीया - ठेठ खुरासानके खांडे टूट पड़े। खांडा = एक प्रकारको तलवार, जिसके दोनों ओर धार हो । २. हालत हालता - चलते-चलते। ३. विच हवो - बीचमें यमराजका (भंसेसे तात्पर्य है) सामना हुआ। ४. उभा रही नै -- खड़े रह कर । ५. बालकर-बलखके। ६. किणहीसं मुवो न्ही -- किसीसे मरा नहीं। ७. पटेल - किसानोंका मुखिया। ८. सांभलन - सुन कर। ६. रीस चढी- क्रोष पाया। १०. पूठासू-पोछेसे । ११, सिघाया-चले। १२. बकराने लोह कीधो-बकरेको मारा। १३. पुस्थाल हूवा - प्रसन्न हुमा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003391
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurushottamlal Menariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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