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वीरमदे सोनीगरारी वात
पडीयौ । सोनिंगरी बेटा दोनुं ही लेने धिणलं ग्राई ।
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चूक पंजू पायक सुणीयौ । तर घोडै चढ़ नीसरयौ । सो दीली अलाबदी पातिसाहसुं' मिल्यौ । पातसाहनै सिरूंरा घाव डाव सीषाया । तरै पातसाह रिंकीयो ।
एक दिन पातसाहसुं रमतां कह्यौ । क्युं बै' पंजू तो बराबर पेलै तँसो कोई पातसाही में है के न्ही । तर पंजूं कह्यौ । जोळोरमै कांनडदेरा बेटा वीरमदे मोसँ बी कुछ सरस है ।
तर जालोर परवांना मेल्या' । कांनडदेजी परवांना वांच्या' IA घणो सोच हूवो नैं जांण्यौ पंजुडारा काम छै । पातसाहसुं जोर लागे न्ही' ।
सबरो " मोहरत सषरा श्रवण 11 हूग्रां प्रसवार हजारधसुं' चढीया सो दीली आया | पातसाहने मालम हुई। अंबषासमै
३. रिभयो - प्रसन्न हुआ ।
४. बै- सम्बोधन के लिये खड़ी बोलोका हीनतासूचक प्रयोग ।
१. अलाबदी पातिसाहसं - अलाउद्दीन बादशाहसे ।
२. सिरा घाव डाव - सिरके श्रर्थात् उच्च श्रेणीके प्रथवा शुरूके, प्रारंभ के ( ? )
घाव दाव ।
५. मोस... सरस है मुझसे भी कुछ बढ़ कर है ।
६. परवांना मेल्या - एक प्रकारका पत्र, प्रादेशपत्र भेजा ।
ग. प्रतिमें श्रागे यह
पाठ है- 'तिण मांहे लिखियो, तोने ही सिरदार हजूर श्रावज्यो नहीतर हमकूं फेरा दिरावोगे ।'
६. पातसाहसुं न्ही - बादशाह पर बलका प्रयोग नहीं किया जा सकता । १०. सषरो - अच्छा।
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७. वांच्या - पढ़ा ( वाचन - सं.) A - A प्रस्तुत अंशकी राजस्थानी मुसलमान पात्रोंसे सम्बद्ध होनेसे खड़ी बोली प्रभावित है ।
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5. ख. प्रतिमें यह पाठ है- 'अँ पंजूरा चाळा छे । तर तीने ही प्रालोच्यौ । जो बेंस रहोजै तौ दिल्लोरा धणीसुं पोच श्रावां नही । न हजुर गयां काई वात झूठी साची रफै दर्फ करिस्यां यौं जाण घोडा हजार १ री गांठ करि सबरें मोहरत सबरां सांवण चढ़ीया ।'
११. श्रांबरण - श्रवरण, सुने जाने वाले शकुन ( ? )
१२. हजारधसुं सहस्रार्द्ध (सं.), आधा हजार, पांच सौ ।
१३. अंबषासमै - ग्राम खासमें
श्रौर २ दीवान-ए-खास ।
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मुगल सम्राटोंके दो दरबार होते थे। दीवान-ए-श्राम
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