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________________ रामान परत पात-बणाव भांति रा बाण. जिके पंचाळी वहीरा, वालमी नहीरा, वाटली तळीरा, घाटमी नळीरा, जाडा गोडारा, छोटा पींडारा, घटवाटरा, ससा सेरिमां बगलांरा, चाकमै ईडररा, झांबरै पूछरा, वलिमे रूपरा, नवहथी झोकरा, बाथिमें कंधरा, छत्रधारी माथेरा कोरिमै कानरा, साइमै वानरा, तजिमा होठांरा, कसतूरियां पटारा, भमण मथा सांली सिंह ज्यों सारसे करता सीघोड़ा सा, कूटा काढिमां, भूखै मयंद ज्यों हूंकार करता. मद वहता, हाथी ज्यों जोहां खाता, भाद्रवैरी गाज ज्यों मावाज करतां, साठीकरै भमरण ज्यू चसळका करता, भाग गाडै ज्यों बठठाट करता, पागले झाग नाखतां खौटहड़ी पैरा गोरा झूठ कूप्रेरा कळसिमां कपोळांरा, कमाल धड़े चड़ीमा, कड़े बाथमां थेट पाडेवळे सारीखां गिरवरां पहाड़ारा, झंगरां बनसपती सोमरा, पाखड़ा प्रतकाळो सकळात में उकू लपेटियां थकां; पीतळरा पागड़ा, कळीझार झोळ घातियां थकां, घरणी पीतळ नै घणी दांत मांहे गरकाब हुमा थका, रेसमी पटाटा, सांबरा उकटां, तगे अंग भीडिमां थकां. इण भांतिरा सौ ऊठा ऊपर सौ पलाणां मंडिमा छै. घड़िया जोजनरा जावणहार, घरतोरा करवत जाणे जळरा जेहाज डूंघाजमाज छेडिया छ. ऊठी चड़ि वाग उठाई छ. मोठी जाए एवड़ि पहुंता छै. बाकरा पकड़ी छै. सो किरण भांति रा बाकरा जिके कड़कती. सांधरा, बड़कती नळीरा, भाहरे सांदरा, मांदळिए पेटरा, माडि बोर काचररा, बरडणहार, घणें कभट नै वावळीरी टीसीमारा . बाड़णहार, सिखिरिरा मालणहार, फिरणीमरा बैसणहार, बालखसी बोकड़ा, बिसे बोकड़ा, खोरडे खील हरीरा चारीप्रोडा, सो ऊठा बिसे बोकड़ा मसकारो भांतिसों लिड़ाइ ने घातिमा छ. मोठीए चड़ि ने वाग उपाड़िया छ. प्रोठिए प्रांणि राजांनसू मुजरा गुदराया छै. खाजरू पाए हाजर हुमा छ. रावताला कहियो छै. ठाकरे खाजरूपां ने ठरका करो. तिके रावताल। घरणी केसर ने घरण कसनागर अन्तर सांधे मांहे गरकांब हुमा थका. उमां सीरोहीनां खाजरू वोझोड़ीजै छ. बाकरा फूलधारा मुहे निखाळीजै छै. बाकरा उधेड़ीजै छै. तांह खाजरूपां उबेडिमांरो कासूएक बखांण बजाजरी हाट बास्तेरा थांनरूरी, बरकी, पीजी औरूरा गोटा, गुजराती कागळरा पाठ, इण भांतिरा खाजरू नीसरिया छै. भीतर वाडियां हुसनाकांनू सूळांरो हुकम हौ छ. तिके सूळा कीजै छ । तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति बाकरां में सूपरांरै सांटरा सूळा जोळा जोळा हमे छ. सो किरण भांतिरा सळा पेटिमारा खालिमार, अतर वेढिप्रांरा ऊपर चेढ़रा, कालिजैरा, पेटालिजैरा, इण भांतिरा सूपरां बाकरांरा सूळा रजबेरा मारिया घणं सुरहै घोरा झारिमा, पाडीमां, पोटळियां ऊपरि झरराट करि नै रहिमा है. सातमैं पाताळ वासंग नागरै माथ टपूकड़ा खाइ नै रहिया छ. त्यारी सौरभरी वास्त तेत्रीस कोड़ि देवता सरगसू हेलूस नं उतर देवांसुरांरा विवाण हिलोरव खाइ नै रहिमा छ। तठा उपरांति करि नै राजांन सिलामति राजांन राजावतरै बेपारह वास्तै भागि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003390
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1997
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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