________________
२२
रामदास वेरावतरी प्राखडीरी बात
बोलेंगे. तरे महेची कयो-मीयांजी हमारा भाइ सांढीयां लेवेगा.
हिवे मीयां वुढरण जालोर राज करे, पांच हजारी रो मनसोवो छ, साथ सरांजाम वीजो घणे छे. अमल धरती में निपट करड़ो छे. वडी बढेरो करणहार छे. तिएरै सांढीयां हजार सात छे. तिको गांव देवु रहे छे. एक समे मीयां बुढण महेचारे परणीयो छे. तिको उणरो नाम बाइ लाडु छे. उणसुमीयां बुढरण चोपड रमे छे. सो बाइ लाडु रे डारण । पड़े नहीं, तरे बाइ पासो वावती कयो पासा तोने रामदास वेरावतरी प्राण छे. पोबारा पडीया तरे लाडुबाइरी जीत दुई।
चोपड़ रमतां इसा सामाचार मीयां रे महेची रे हवा. तरे महेची चारण घर रो बुलायने रामदास जी रे कने मेलीयो ने कयो, इसी तरे- विरदा. यने कहेजो बाइ लाडुरे ने मीयां बुढणरे चोपड़ रमंता इसी बतलावरण हुइ छ, सो जारणसुराज मोने मोहरे कांचली दीनो अमर कांचली दीवी. ए करसु मारो बोल ऊमर प्रांरगजो. इसी तरे कागद लिख मेलियो, चारण साथे. सो कागद वांचने रामदास जी तिरणहीज वीरीया हेरु मेलिया, अने कयो अनतो सांढोयां लीयां वसां. चारण ने घोड़ो सिरपाव दे ने सीख दोनी पधारो बाइने जुहार कहेजो,
तरे मीयां बुढण पुछीयो-रामदास वेरावत कुरण छ ? कठे रहे छ ? तरे महेची कयो- रामदास वेरावत माहरे भाइ छे. बडो रजपुत छे. तिणने चोरासी पाखडी छ, उगरणीस विरद छ, बडो सतधारी रजपुत छ, माहा सूरवोर छे, वडो प्राखाडसिध रजपुत छ.
. तरे मीयां बुढण कयो-प्रेसा सुमारा भाइ हे तो हमारी साँढीयां लेवेगा? तरे महेची कयो-हमारा भाइ ऐसा ही हे सो तुमारी सांढीयां लेवेगा. मीयां कयो-खुब हम भी देखेंगे। हमारी मांढीयां लेवेगा तो बडो रजपूत विरद धारी जांणगे. तिरण ऊपर महेची कयो- तुमारी सांढीयां ले जाय ता तुम रजपुत जारण जो.
अबे पाछासुदुधोडसु तीनसे असवारा स रामदासजी चढीया. प्रसवारा पुरी सिले करने चढीया ए काम प्यालारो पीवणहार छे कालीरो कलस छ, जाता पवन स लडे, जीव ऊपर उठा फिरे, तिमणे पग चांतरे नहीं, पुट फेरे नहीं. इण भांतरा असवार चढीया तिके जायने गांव देवुस सांढीयां लोवी. पछे रवारी ने कयो-सात हजार सांढीयां तिरण घरणी ताती सांट हवे तिरण ऊपरे चढने मीयां वृदगा ने जायने कहजो रामदास वेराबत साढीया लावी. गांव दुधोड़रो धणी लाइबाइरो भाइ तिगा सांढीयां लीवी. रबारी प्रायने कयो मीयांने वेगा चढो. तरे मीयांने समाचार हुवा तरे मीयां
तरे मीयां वृढगा कयो-हमारी मांढीयां लेवेगा तरे हम तुमसे मुह
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org