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________________ खीची गंगेव नींबावतरो दो-पहरी तठा उपरायंत पुराणं अगररो छ ? जाणं रंगरेजरी हाट खुली है. चिकायो सधो मंगायज छै. सीसी खुलं जुदो देगचांमें वणायज छै. छै. मोतीपुड़ री सीपरा प्यालां मैं घात हाजर कीजै छै. सूधो बगला तठा उपरायंत हिरण खुल छै. सू लगायजै छ. जाण धोबीरै घर कपड़ा मोकळा किया छ. मांस उतार-उतार दुकड़ियां में तठा उपरायंत केसर मंगायज छे. घातजै छै. मिरच धारणा सूठ लूण हळदी स केसर किण भांतरी छै ? अराकरी वेसवार दोज छ. दहीरो रजबो दीजं छ. किसटवाडरी, कासमोरी, जाडो लकड़रो कठोतो मैं सुदवक राख छ. पांखड़ीरी वटवों डांडोरी. स केसर चंदणरासूकड़ासू जेलळमेररा पोरीसा तठा उपरायंत खरगोस होसनाक वाट में होसनाक जुवान घसै छ, ऊजळ रूपोटां है. मछळांद मिटायज छ. नान्हो छन में उतारजे छ. देसौतारै मुहाई प्रागै देगचांमें घातजै छै. माहे वेसबार हळद राखज छ. तिणरा तिलक कीजै छ. धारणा सूठ मिरच जाइफळ तज लांग पाड़ा काढजै छ. छ. सींधो लूण दही साथ दीजै घात छ. तिलोर तीतर करचानक मुरगाबी तठा उपरायंत बाकरा उणहीज होसनाक वरणावै छै. पोटा चीरज छ. दरखतासटांगणा कोज छै. बाकरा खूल्हे पेटाळजो चीरजे है. मुहड़ में हींग भरज छ. जाणं रूईरी बरकी वौपारी खोली छै. पेट में जीरो भरज छ. पांखां समेत छ. मांस उतार उतार पासे राख छ. देगचामें बाफ छै. तरवाररा पटदळां माहिसू कटामोहासू छुरी काढजै छै. मांस छून-छन तठा उपरायंत तीतररोमांस सिला पास कोजे छै. मोरां पसवाड़ा पीडारो ऊपर वांट पलीधो कीजै छै. दुसरो मांस देगचामें घातजै छै. हडोईरा मांस मांस न्यारो-न्यारो वरणायजे छ, घरणा पासे चरुवामें घातजै के.सीरा होसनाक मसाला दीजै छै. लवारो मांस होरानाक सुधारै छै. दुयजै छै. गरम पाणीस सुधारै छै. बकरांरा फीफर गरम धोयज छै.चीर-चीर देगवांमें घातजै छै. पारगोसू धोयज छै. ललाई मिटायजे है. प्रोझरा धोय-धोय माहे मसाला मारियो पासे देगचांमें राधजै छै. घणो घी मांस घात दवगर कीजै छै. पूल प्रांतां बेसवांरां मसालांसू वरणायजै छ. सीकां अवल धोयज' छ. ऊपर। दूसरी प्रांतारी पास वर्ण छ. आडा डोरा धीरा दीज साटा गूथज छै. मसाला चरायज छै. है. मांस रझतेरी खसबोय फूठने रही रजवो दहीरो दीजै छै. छं. त्यांरी खमबोय लेवरगनू तेतीम कोड़ देवतागरण गंध्रव होसां खाय रह्या छ. तठा उपगयंत सुबर खोलजै छै. भांत-भांतरो मांस वरणायज छ. दैरा साटा ऊार छै. सू कुणा भातरा दीसे मांडा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003390
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1997
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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