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________________ खीची गंगेव नींबावतरो दोपहरी देसीतांरे हाथां दीजै छे. कुंभारी कमायोड़ी, हथाळीरा मारिया, धुईरा पचाया, नींबुवै घाटरा. इस भांतरा गिलोला हाथ दीजै छे. गिलोलांसू उणहीज बंदूकां मुरगाव्यांने चोटां कीजे छै. तमासो हुयनै रह्यो छे. सिकार मुरगाबी अकठी कर तळावसू बाहर पधारजै छै. लीली पोतां दूर कीजै छै. चरणा पहरजै छै. सूकिरण भांतरा चररणा छ ? इलायचैरा मिसरूरा गुलबदनरां मालनेरीरा बाफतारा, चाळीस चाळीस हाथांरा छै. गिरिया डोबरे समा नाडा छै. सू चरणा पहर जोड़ी पगां घातजै छं. सू जोड़ी किरण भांतरी छे ? लाहौररी पिसोरी घर वनात मुखमलरी लपेटी थकी, घर कलाबूत गुथी थकी, पैहरजै छै. तठा उपरायंत पाछलै पोहररी ढळती छायारी विसायत कीजै छै. देसौत सिरदार जाजलमां पधारै छै. केस सुंबा छै. मोगरैरी वेल केवड़ रे तेलस केस सुथरो कीजै छै. दांतरा छलांरा चंदरगरा चखड़ीरा कांगसियांसू केस सुवारजै छै. केसांरां जूड़ा बांधजं छै. ऊपरा मखहूलरा डोरा बांधजं है. तठा उपरायंत गोठ सारू बाकरा मगायजै छे. रबारियांने हुकम हुवे है.. परगना मांहां बाकरा दही ले आवो. सू रबारी ऊंठां प्रावे छै. किरण भांतरा रबारी छे ? Jain Education International डीघा लांबा जुवान दीसता राजान, बांकी मूंछा, राता नैण, सासी डाढी, मोटा वैण, जाहचा लांबा हाथ, भूख सिघन घातं बाथ, इण भांतरां रबारी ऊंठांनं झालै है. सू ऊठ किरण भांतरा छै ? थापवी तळीरा सुपवी नळी रा. नाळ रागोडांरा, बीलफळ इरकीरा, हथाळिये ईडररा, ससा सेरी बगलांरा, घाट बाजोटरा, बाथमे कांधरा, कस्तूरिया पटारा, कोरवं कानरा, टाकसै माथैरा, लोकवे नाकरा, तजिये होठरा, कवाडियां दांतां उधरै पीडरा, परळां आसणांरा, कांगरे थूबरा, मोटै पूठेरा, छोटे पींडांरा, भामरे पूंछरा, भुवरियं रूरा, चोळमै रंगरा, लांघिये सीह ज्यू लंकां चढिया थका, भागा गाडा ज्यू' बठठाठ करता थका, dar ज्यू झाला करता थका, मार्त हाथी ज्यू हुंकारा करता थका. इसा ऊंठ भेकजै छै. हाथ फेरजै छे. पीतळरा गीरवारण रूपैरा कड़ा छे. ता मांहे मोहरा बोलचं मोहरा घात छै. लूबां कवडाळा वळंबड़ा घातजे छे. लाल सिलेहटीरां पडेछयां गाद्यां घातजै छे. ऊपरां पलाण मेलज छे.सू किरण भांतरा पलाण छे. सीसूरै काठरा, घरणे लोह पीतळसू जड़िया थका रूपैरी फूलड़ी लागी है. दांतरे कामसू वरिया थका. वनातरा मढिया श्री कुपीतळरा वाजरगा पागड़ा, कड़ी कुहट गाठी प्रोकढ़ा For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003390
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1997
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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