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________________ खीची गंगेव नींबावतरो दो-पहरौ हवी छ बे पख भला, ऊचा अलला, तयारी कीजै छै. कटोरा नखा, पारसी सारीखा. मन-जाणिया हथियार-पोसाख तिअंगला गाळा,मुठिया बील फळा. ली छ. निमंसी नळा, गोडा नाळे र फळा. घोड़ा दही कटोळसू संपड़ाइज छ, उर ढाल अंसा, कूकड़ कध तैसा. फेर उजळं पाणी नहाइज छै.. अांख पाणी मोती तवा, लिलाड़का बेठा नवां. हजार घोड़ा तयार की छं. चौकड़ा-लगाम दीजै छ. जळ अंजळ पीवं, .. सूघोड़ा कुरण जातरा छ, कुरण रंग कनोती लोय दी. भातरा छै? -औराकी प्रारबी तुरकी मगर लादक पछी, खंधारी ताजी सिकारपुरी धारी काछी छोटी पड़छी. माळवी हबसानी पूरबी टांघरण पहाड़ी पूठ बाथां न मावे, चिन्हाई-और ही अनेक जातरा घोड़ा पूछी चवर दावं. तयार कीजै छै. फीचा धनख जैसी, कुमेत नीला समंदा मकड़ा सेली काछ नारंगी तसी. समंद, भूवरबोर सोनेरी कागड़ा गंगाजळ असा घोडे राव चाकरारे हाथों में नुकरा केला महुवा घूमरा हरिया लीला काढणा.. गुलदार पंचकल्याण पवण गुरड़ संजाब संदली सीहा चकवा प्रबलख सिराजी. सू मोर ज्यूतंडब करै छ, फेर ही अनेक रगरा घोड़ा तयार निकुली ज्यू अंग भांज छ, कीजे छ. सन ज्यू उल्हसे छ, भागा काला मांकड़ा ज्यू झांकी साखत जीण काढ़ी छ. भरे छ. तिके जीण किण भांतरा छ निरत कारण ज्यू नार्च छ, गुजराती कसमीरी कसूरी मारवाड़ी नट ज्यू उळटां खा छै. दखणी मिरजाई भटनेरी लाहोरी हजार डोरमे थका अकी-बेकी कर छ. मेखी घणो रंग-रंगरो वनात मुखमल प्रांखका गोसा सिन्धके जैसा. कलाबूती सोनै रूपैरा वणिया जीरा मनका गंगाजळ, हाजर की छै. सुकलीगी ज्यू छंदां ऊजळ. जीण मांडजे छै. केसवाळी रंग-रंगरी गुथजै छै. असा हजार घोड़े राव प्राण हाजर अगाड़ी-पछाड़ी खोलजै छ. हूवा छै. रेसमरी बागडोरांसू प्राण हाजर तठा उपरायंत गंगेव नीबावतका कोजै ..."किसा हेक घोड़ा छ ? भाई-भतीजा उमराव हजूरी पोसाखां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003390
Book TitleRajasthani Sahitya Sangraha 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarottamdas Swami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1997
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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