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विषय. शिष्यसमुदाय .... जयसागर उपाध्याय शिष्य-समूह .... प्रसिद्ध शिष्य तथा उनकी संतति नगरकोट्ट महातीर्थ उपसंहार
मूल-ग्रन्थ । प्रथमा वेणिः .... द्वितीया वेणिः .... तुतिया वेणिः .... .... परिशिष्ट संख्या १
शुद्धिपत्रम्.
संशोधन ।
प्रस्तावना के २२ वें पृष्ठ की नोटमें 'अणकी-टणकी ' के विषयमें लिखा गया है कि " यह......कहां पर है इसका पता नहीं लगा।" परंतु पीछे से तलायस करने पर मालूम हुआ, कि यह स्थान बंबई इलाखा के नासिक जिल्हे में है। इलरा की तरह वहां भी कुछ जैन गुहा-मंदिर हैं, जिन में शान्तिनाथ और पार्श्व. नाथ तीर्थकर की मुख्य मूर्तियें सुशोभित हैं। डॉ. फरग्युसन ( Fergusson) ने अपनी "दी क्वे टेम्पल्स ऑव इन्डीया ( THE CAVE TEMPLES OF INDIA के ५०५-७ पृष्ठ पर इन गुहा-मंदिरों का हाल लिखा है । गेजेटियर ऑव बॉम्बे प्रेसीडेन्सी (Gazetteer of Bombay Presidency)" के १६ वें भाग के पृष्ठ ४२३-४ परभी इस स्थान का संक्षिप्त जिक्र किया गया है ।
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