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धन्यवाद।
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प्रवर्तक श्रीमत्कांतिविजयजी महाराज के विद्वान् शिष्य मुनि महाराज श्रीचतुरविजयजी के सदुपदेशसे
बडौदे वाले जौहरी शेठ मोतिलाल गुलाबचंदकी विधवा पत्नी धर्मात्मा सुश्राविका
विजळीबाईने इस पुस्तक के छपवाने में द्रव्यसंबंधी उदार मदत दी है इस लिये उन को धन्यवाद
दिया जाता है।
जैनआत्मानंदसभा।
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