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________________ [ ६६ ] मुहम्मदशाह (बादशाह) इसने १७१६ से १७४८ ई० तक शासन का कार्य किया। यह सैयद भाइयों और महाराजा अजीतसिंह की सहायता से गद्दी पर बैठा । इसका पूर्व का नाम रोशन अख्तर था । इसे मुगलसाम्राज्य का विनाश अपनी प्रांखों से देखना पड़ा। सिंहासन पर बैटते ही इसने षड़यंत्र रच कर सैयद भाइयों का वध करवा दिया। निजामुलमुल्क जैसे योग्य दीवान को पद से हटा कर अयोग्य व्यक्तियों को अपना दीवान बनाया। यह अनुभवशून्य, विलासप्रिय तथा निकम्मा शासक था। यह अपने योग्य तथा अनुभवी सेवकों के परामर्श की उपेक्षा कर चाटुकारों तथा चापलूसों की बातों का विश्वास करता था । इसके समय में शासन का कार्य इस प्रकार चलने लगा मानो यह बच्चों का खेल हो । साधारण जनता भूखों मरने लगी। इसके कुशासन से सूबों के गवर्नर अपना स्वतन्त्र राज्य स्थापित करने लगे। मुगलसाम्राज्य पर चारों ओर से विपत्तियों के बादल उमड़ने लगे। विदेशी आक्रमणों की आँधियाँ चलने लगीं। मुगलसाम्राज्य का दीपक बुझने लगा। ई० स० १७४८ में मुहम्मदशाह की मृत्यु हो गई । मोकल (महाराणा)___ यह वि० सं० १४५४ में गद्दी पर बैठाया गया। कुछ समय तक राज्य का प्रबन्ध चूंडा करता रहा किन्तु चुंडा के मेवाड़ से चले जाने पर राज्य का समस्त कार्य राव रिड़मल (रणमल्ल) राठौड़ को सौंप दिया गया। रावजी ने वहाँ राठौड़ों को सभी उच्च पद प्रदान कर दिये । बालिग होने पर राज्य का कार्य मोकल ने अपने हाथ में लिया और जहाजपुर (मेवाड़) के पास फीरोजशाह से युद्ध हुआ जिसमें फिरोजशाह पराजित होकर भागना पड़ा : यह महाराणा वि० सं० १४९० में महाराणा लाखा के पासवानिये पुत्रों चाचा और मेरा के द्वारा धोखे से मारा गया । मोहकसिंह___ यह नागौर के राव इन्द्रसिंह का पुत्र था। यह बादशाह फर्रुखसियर के पास उसके सिंहासनारूढ होने पर दिल्ली गया और महाराजा अजीतसिंह के विरुद्ध उसको भड़काया। इसने जोधपुर का राज्य प्राप्त करने के लिये ही यह प्रयत्न किया था । इसकी सूचना दिल्ली रहने वाले जोधपुर के वकीलों ने महाराजा को दी । महाराजा ने अपने विश्वासपात्र सामन्तों को भेष बदलवा कर मोहकमसिंह को मारने के लिये दिल्ली भेजा । वे दिल्ली पहुंचे और अवसर की प्रतीक्षा करने लगे। एक दिन सायंकाल को मोहकमसिंह किसी नवाब के यहां Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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