SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 460
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org १ शर्याति २ कवि ३ घुष्ट सुकन्या - च्यवन धाष्ट्र : कारूषा: ४ करुष १क आनर्त १ख उत्तानवहिं १ भूरिषेण रेवत 1 १क (१) ककुची १क (२) रेवती आदि १०० पुत्र परिशिष्ट ६ सूर्य वंश [ग्रंथ के प्रथम भाग में आए हुए सूर्यवंश का पुराणानुसार वंश-वृक्ष ] विवस्वान् संज्ञा ( श्राद्धदेव ) मनु = श्रद्धा ५ पृषध ६ नभग - नाभाग अबरीष शूद्राः - ६क शंभु ६ख केतुमान् ६ग विरूप | पषदश्व ७क विकुक्षि (शशाद ) नांगिरस ब्राह्मण इन्हीं की भार्या से उत्पन्न हुए थे । ७ख दंड ७ इक्ष्वाकु == रथीतर इला (कन्या) सद्युम्न (पुत्र) ६ नृग सुमति 1 एक उत्कल दख गय व विमल भूतज्योति T वसु प्रतीक T ६क ओघवान् हख प्रोघवती (दक्षिणापथ ) सुदर्शन ७ शकुनि ७६ निमि ७ङ अन्यान्य (उत्तरापथ ) T १०० पुत्र ↑ इन्होंने एक हजार सांवत्सरिक सत्र किये थे । १० दिष्ट ( नाभाग) मलंदन वत्सप्रीति I प्रांशु ११ नरिष्यंत चित्रसेन I दक्ष ( वक्ष ) प्रमति (प्रजनि) T खनित्र L चाक्षुष ( क्षुप ) T मीढ्वान् कूर्च इन्द्रसेन T वीतिहोत्र सत्यश्रवा [ ७६ ]
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy