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________________ [ ५४ ] आगरा यमुना नदी के दायें किनारे पर स्थित उत्तरप्रदेश का एक प्रसिद्ध नगर है । वर्तमान आगरा का इतिहास लोदी काल से प्रारंभ होता है । सिकंदर लोदी और इब्राहीम लोदी के समय में आगरा ही भारत की राजधानी था। वि० सं० १४६६ में यह नगर मुगल-साम्राज्य के संस्थापक 'बाबर' के अधिकार में चला गया । ई० सन १५७१ में अकबर महान ने आगरे के किले का निर्माण कराया। किन्तु किले की अधिकांश इमारतें जहांगीर और शाहजहाँ द्वारा निर्मित हुई हैं । इस काल में नगर की दशा अच्छी थी। नगर में सोलह प्रवेश द्वार थे। नगर का क्षेत्रफल ११ वर्गमील था । आगरा ताजमहल का नगर कहलाता है । यहाँ कई विशाल एवं भव्य इमारतें हैं जिनसे मुगलकालीन वास्तुकला की महत्ता प्रकट होती है। आगरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सब से बड़ा शिक्षा केन्द्र है। प्राब (आबू पर्वत) आबू का प्राचीन नाम अरबुद्ध है । यह ४००० फीट की ऊँचाई पर बसा है। इसकी सबसे ऊँची चोटी का नाम गुरुशिखर है, जो ५६५० फीट ऊँची है। प्राचीन परम्परा के अनुसार यह वसिष्ठ ऋषि का निवास स्थान था। आर्यों के गुरु का निवास होने के कारण यह बुद्धिवादियों के आवागमन का केन्द्र हो गया। यहाँ वसिष्ठ द्वारा अनार्यों की शद्धि की जा कर उन्हें आर्य बनाया जाता था। इसी से इसे अरबुद्ध कहने लगे। इस पहाड़ का उल्लेख मैगस्थनीज ने भी अपनी भारत-यात्रा में किया था। प्राप्त अभिलेखों के द्वारा यह कहा जा सकता है कि यहाँ पहले शैव मत का प्रभाव था; बाद में यहाँ जैन मत का प्रभाव हो गया। ११वीं शताब्दी में यहाँ परमारवंश के क्षत्रियों का शासन था। इन्हीं पहाड़ियों की सहायता से सिरोही के राव सुरतारण अकबर के विरुद्ध गुरिल्ला रणनीति द्वारा मुगलाई फौजों को तंग करता रहा। १९वीं शताब्दी में प्राबू, अंग्रेजों के पोलिटिकल एजेन्टों का, गर्मी के लिये निवास-स्थान बना रहा । पाबू, मंदिरों का गृह और कला का केन्द्र है। प्रासोप यह ठिकाना पासोप का मुख्य नगर है। उत्तरी-रेलवे के गोठन स्टेशन से १५ मील की दूरी पर तथा जोधपुर नगर से ५० मील उत्तर दिशा में स्थित है। यह गुजरात का एक प्राचीन नगर है । इसके उत्तर में सिरोही और मेवाड़, पूर्व में डूंगरपुर, दक्षिण और पश्चिम में अहमदाबाद और गायकवाड़ है। साबरमती नदी इसकी पश्चिमी सीमा बनाती है । ईडर का किला बहुत ऊँची पहाड़ी पर बना हुआ है । यह पहाड़ी अरावली और विध्य से मिली हुई है । इसको वेणी वच्छराज ने बनवाया था। बाद में यह नगर जंगली भील लोगों का निवास स्थान रहा। ईडर के परिहार वंश का अंतिम राजा अमरसिंह शहाबुद्दीन गोरी की लड़ाई में पृथ्वीराज के साथ लड़ कर मारा गया और ईडर का राज सांवलिया सोड को मिला । बाद में राव सीहा के पुत्र सोनंग ने सांवलिया सोड़ को मार कर वि० सं०१३१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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