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________________ [ ४१ ] छंद का नाम प्रथम पंक्ति प. प्रकरण पद्यांक मोतीवांम ७ ५४ १५७ १२८ २८३ ५६० ४४६ 6 ० 6 6 6 6 6 १७६ १५७ १९१ 6 २०४ १८५ ६४१ ५५७ ६८६ २६४ ६७० 6 ८० 6 १८७ ७ 6 6 ७१ 6 ५६ ७ नदी गण जेम तुरंग निहंग नरांपति जूटत पौरस नेम नरां सिणगार इता करणोत नरां सिणगार धर जुध नेत 'नरावत' 'रूप' लड़े नरनाह नवी बगसीस खिजे नरनाह निजोड़त मेछ धरै खत्र नेम पंजा खग झाट 'पतावत' पाणि पंडीस बरंग कर खळ पाणि पंडोसक वाह कर अण पाल पछंटत ऊत्तंग चंद्रप्रहास पछट्टत खाग राठौड़ पठाण पछट्टत रूक प्रमो सह पूर पछट्टत रौद्रव चंद्रप्रहास पछट्टत बीजळि 'केहर' पाणि पछट्टत लोह थटां पंडवेस पछाड़त जंग अमीर पमंग पटायत एह लड़े अणपार पटायत एह लड़े खगपांण पटायत सूर इता परमाण पड़े घण मूगल सेल प्रचंड पड़े भड़ रोद लुही रंग पूर पड़े भड़ लोहाइ खेत पचीस पड़े रत वेध दुहूं वज्रपाट 'पतावत' रोळा विसा बळ पांच 'पतावत' सूर लड़े प्रणपाळ 'पतावत' हिंदुसिंघ प्रचंड पमंग बछेक कर प्रणपार परी वरि र ग वस 'दळपत्ति' पावं कुण पात कहै गुण पार पितामह पाय लग संप्रवंति पिये रत पत्त चंडी भरपूर 'पीयवंत' सूर करन्न' प्रचंड पेचां मझि स्त्रोण वहै अणपार प्रचंडक रोद हणे रुख पाप ७ १२३ १३२ ७४ 6 ५८५ २३१ २८९ ४२६ ४६२ २४४ ४०३ ५०६ २७७ 6 6 १४४ 6 6 १२६ 6 6 ११३ ३८६ 6 १७४ ६७ 6 ३२६ ८५ १६२ 6 ७ २८६ ५७७ २७८ ५६१ २१८ ३७५ 6 6 6 6 २८२ ११० ७ ३७८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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