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________________ छंद का नाम छप्पय कवित्त प्रथम पंक्ति श्रभमल जयचंद प्रेम सबळ दळ लियां सकाजा 'धनिये' रियो 'हरि' 'गो' करिहाकां अहमदपुर श्रोपिया मल बजीर श्रभारा श्राब जोम तजि श्रसुर सुर विहंडाय साथां श्रय श्रा श्रछटे कमध दारण कळि चाळा श्रासाखां गुलहुसन मुगळ दरवेस महम्मद इक भाटो आवखो पिये दुब्बार सराबो इम जीपं श्रावियो महाराजा राजेस्वर इम त्रिवे घड़ डर भीच मगरूर 'प्रभा' रा इम लड़तां ऊमरां श्ररज कीधी जिण वारां इस तेज तपि श्राज रजे 'श्रभमल' महराजा इसी ताथ ईखियो, घाय मुगळ वळ घावां उडि पड़े श्रंग रध रध अंग जुड़े पछर उण मौसरि 'प्रभमाल', सूर हाकले सकाजा एक वार ोरियो भाट वीजूमळ झाड़े कमध करै hair, भाट दोय विहर झिलमां करि सनांन भ्रम करें धरै प्रम ध्यान स्यांम धम कितां कसे प्रेरक ऊंच पौसाकां ऊपर her रुधिर पिंड करें तड़च्छ खावे रखताळा कोट तोप कमधजां जिके लोपं जमरांणां खंड प्रसस्त बलमीक हणू नाटक अध्यातम खमा खमा बोलता लोक लारां श्रणपारां खळळ संकळ मद खळळ मसत घूमत मदगळ ख्वाजा बगस हठीखांन निडर मुजायद नायक गज भिड़ज पड़ि गरट्ट प्रगट बंध सुजि पाजां गहि बंदूक फिरंगांन मेघडंबर भभि मंडे 'गिरधर' 'रतन' गरूर वर्ण हरवळ 'विजपाळी' ग्रीव पड़े सिर गुड़े भड़ां घड़ पड़े भिड़ज्जा घायल उजबक घणा मरे मुक्काम मुक्कमां चिलतह फिलम चढ़ाय ससत्र श्रंग कसे सचेला परिशिष्ट २ छंदानुक्रमणिका Jain Education International For Private & Personal Use Only पृ० १ ७ १ १९४ ७ ६६८ २६५ ७ ६२६ २६० १६ ७ २५६ ७ ६०६ २५६ ६१५ प्रकरण पद्यांक २६ ७ ७० २६३ ७ ६२४ २१ ७ ६१ ४१ २७२ २३ ६ २७२ २५६ ७ २५४ ७ ३७ ७ २५१ ७ २५३ ७ १६ ७ २६ २५४ ७ ४० ७ 67 १९४ २५८ २७ 2 r 60 67 67 ७ ७ ७ ११४ ६५३ ६१७ ६०५ १०१ ८६७ ६०१ ५६ ७१ ६०४ ११२ Y २५ १ ७ २६४ ७ २४ ७ ६५ २६ ६६७ ६१३ ७ ७ ७ ७४ ७ ६६ २ ६२७ * x www.jainelibrary.org
SR No.003388
Book TitleSurajprakas Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1963
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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