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सूरजप्रकास
कासनी ताफता पंच सूलहरी' चंपा पट जिलहरी प्राबनूंसी मुरहरी हरी सेली
आवै न पार कहता
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रँगजीत
कबूतरतणा
१ ख. सुलहरी । ग. सुनहरी । ५ ख. रंगजिता । ग. रंगिजिता । ग. वाजुवां । ६ ग. बलाक |
वळाक ।
नखउलट कटोरा सम अनोप | अँग नळी नोकळी चित्र प्रोप । बाजुव सुछट तायक चाकां दुनाब पींडा " सुजि ताम्र तुंड कंधा बाजोट उवर ग्रइयाळ "
सचाक ।। ३६
कल्यांण ।
सिचांण ३ ।। ३७
जमंद |
समंद ।
अभंग |
रंग ॥ ३८
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४ ख. हरी हरी ।
२ स्व. ग. पट्टी | ३ ग. सीचांण । ६ ख. ग. नीसळी
।
७ ख. वोप । ग. वोय । ८ ख. ११ ख. ग. ईयाल ।
१० ख. ग. पीडा ।
३७. कासनी - कासनी के फूलोंके रंग वाला घोड़ा। ताफता - चमकदार रेशमी कपड़े जैसे रंगका घोड़ा । पंच कल्यांण - मांगलिक घोड़ा जिसका शिर ( माथा ) और चारों पैर सफेद हों और शेष शरीर लाल, काला या किसी अन्य रंगका हो । सूलहरी - यहां सुनहरी शब्द होना ठीक अर्थ बैठता है, रंग विशेषका घोड़ा । चंपा - चंपा फूलके से रंगका घोड़ा । सिचांण - सिंचान नामक पक्षीके समान रंगका घोड़ा ।
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समाथ ।
बाथ ।
३८. जिलहरी - रंग विशेषका घोड़ा । श्राबनूंसी - प्राबनूस वृक्ष की लकड़ीके समान प्रत्यन्त श्याम रंगका घोड़ा । जमंद - जामुनके रंगका घोड़ा | मुरहरी - ( ? ) । हरी - रंग विशेषका घोड़ा सेली समंद एक प्रकारका शुभ घोड़ा । अथंग - अपार, असीम |
३६. अनोप - अनुपम । बाजुवां पार्थ्यो। चाकां
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(?) 1 पैरका ऊपरी भाग । सचोक - चक्र के समान गोलाईयुक्त ।
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४०. ताम्रतुंड - ( ? ) । समाथ - समर्थ, मजबूत । बाजोट - काठ या पत्थर की बन हुई चौकी जिस पर भोजनका थाल रखते हैं । उवर - वक्षस्थल । अइयाळ - घोड़ेकी
गर्दन के बाल । बाथ - बाहुपाश ।
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पींडा - पशुप्रोंके पिछले
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