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________________ सूरजप्रकास [ ३६ रंगराग अमर' केसर' अतर, उच्छबि छक आणंद अति । अनपुरां आदि उदियापुरा, परणे कमधज छत्रपती ॥२६ 'रांण' राज तिण वार, जुगति धर वेध लगे जदि । 'अमर' कुमर' मुरड़ियौ, तंत ऊथपे दियौ तदि । जदि अायौ जैसिंघ, सरण कमां तदि'' सब्बळ१२ । 'रांण' मदति महाराज, दीध 'अगजीत' सबळ दळ। तदि 'राण' 'जसौ' चाढ़े तखति, कंवर'६ नमे बांधै करां । 'जसराज'तणे कीधौ ‘अजै', प्रांक एह'८ उदियापुरां ॥ ३० १ ख. डंवर । ग. डंबर। २ ख. ग. केसरि । ३ ख. उछव । ग. उत्छव । ४ ख. छकि । ५ न. उदयापुरां । ग. उदीयांपुरां। ६ ख. ग. छत्रपति । . ग. जुगत । ८ ग. कुंवर। ६ ख. ग. मुरडीयौ। १० ख. ग. दीयो। ११ ख. ग. तकि। १२ ख. ग. सव्वल । १३ ख. सछति । १४ ख. ग. माहाराज। १५ ख. सवल। १६ ख. ग. कुंवर । १७ ख. वांधे । ग. बांधे। १८ ग. ऐह । २६. अमर - अंबर । ३०. रांण - महाराणा जयसिंह उदयपुर । जुगति – युक्ति। वेध- युद्ध, उपद्रव । अमर कुमर - महाराजकुमार अमरसिंह। वि.वि. - वि. सं. १७४८ (ई.स. १६६१)में महारानाके जेष्ठ कुमार अमरसिंहने अपने पितासे राज्य छीननेका षड़यंत्र रचा। जब इसकी खबर महाराना जयसिंहको मिली तब वे तत्काल ही उदयपुर छोड़ कर कुंभलगढ़ होते हुए घाणेराव चले गये और वहांके तत्कालीन ठाकुर गोपीनाथ मेड़तियाकी सलाहके अनुसार महाराजा अजीतसिंहके पास प्रादमी भेज कर उनसे सहायताकी प्रार्थना की। इस पर महाराजा अजीतसिंहने चांपावत भगवानदास, वीर करणोत दुरगादास आदि प्रमुख व्यक्तियोंके साथ बड़ी भारी सेना देकर महारानाकी सहायतार्थ घाणेराव भेजे । इन्होंने वहां पहुंच कर सीसोदियोंसे मिल कर पिता-पुत्रमें परस्पर संधि करा दी । संधि हो जाने पर महाराना साहब उदयपुर चले गये और महाराजकुमार राजसमंद तालाब पर रहने लगे। ---देखो महामहोपाध्याय कविराजा श्यामलदास कृत वीर विनोद भाग २, प०६७३ से ६७६ तक । मुरड़ियौ - कुपित हुआ। तंत - सार, तत्व । ऊथपे दियो - उलटा कर दिया, बदल दिया। राण- महाराना जयसिंह । मदति - सहायता। अगजीत - महाराजा अजीतसिंह। रांण जसौ - महाराना जयसिंह । बांध करां- करबद्ध हो कर । जसराजतणे - महाराज जसवंतसिंहके पुत्र । अज - महाराजा अजीतसिंह । प्रांक - अहसान, उपकार । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003387
Book TitleSurajprakas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1992
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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