SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सूरजप्रकास [. दूहा- गांम आठ बारह' गयंद, पनरह' लाख पसाव । गुण पातां रीझे 'गजण', दीधा दिल दरियाव ।। १७ कवित्त- लाख प्रथम दनि लहै', आदि ‘राजसी' अखावत । लख दूजौ दनि लहै, पात 'राजसी' पतावत । दूरस 'किसन' लख दोइ, लहै आढां जस लाइक । गाडण 'केसव' गुणे, ववे पंचम लख वाइक' । लख छठौ 'खेम' धधवाड़ लहि, रांण जगत'' सेवा रहण । धधवाड़ लाख सपतम धरे, स्यांमदास माधवसुतण ॥ १८ अस्टम लख उणवारने, लहै' 3 खेतल' कवि'५ लाळस । सुकवि हेम सांमौर, जेण लख नमौ काज जस । दसम लाख कलियांण, राव महड़ जाडावत । सिंढाइच'६ हरदास, एक दस लख बांणावत। १ ख. ग. वारह। २ ग. पनर। ३ ख. लाये। ४ ख. हले। ५ ख. दूजो ६ न. दति। ७ ख. हले । ८ ख. ग. लायक । ६. ग. गाढ़ण । १० ख. ग. वायक । ११ ख ग. जगड़। १२ ग. तिणवार। १३ ख. लहे । १४ ग. जळ । १५ ग. किवि । १६ ख. संटायच । ग. संढायच । १७ ग. ऐक । १८ ख. वांणावत । १७. गुण - काव्य, कविता, यश। पाता - पात्रों, कवियों। गजण - महाराजा गजसिंह । १८. दनि - दान में । लाख - लाखपसाव । राजसी - राजसिंह नामक अखावत बारहठको जालीवाड़ा नामक ग्राम लाखपसावमें दिया था। राजसी - राजसिंह नामक पातावत शाखाका बारहठ। दुरस -- महाकवि दुरसा पाढ़ा, या श्रेष्ठ । किसन - दुरसा पाढाका पुत्र किसना पाढ़ा जिसको पांचेटिया ग्राम दिया गया था। 'रघुवरजसप्रकास'के कर्ता अपर किसनाजी इनसे छठी पीढ़ीमें हुये थे। केसव - केसोदास गाडणको सोभड़ावास नामक ग्राम लाखपसावमें दिया गया। प्रवे-दिया गया। वाइक - वाक्य, शब्द । खेम - खेमराज धधवाडियाको राजगियावास नामक ग्राम लाखपसावमें दिया गया। धधवाड़चारणोंमें धधवाड़िया नामक गोत्रका व्यक्ति । माधोदास धधवाडियाके सुपुत्र श्यामदास धधवाड़ियाको सातवाँ लाखपसाव दिया गया। १६. अस्टम लख - आठवाँ लाखपसाव । खेतल - खेतसिंह नामक लाळस गोत्रका कवि जिसको जोधपुर तहसीलका भाटेळाई नामक ग्राम लाखपसावमें दिया गया । हेमहेम कवि जो सांभोरे गोत्रका चारण कवि था। इसको महाराज गजसिंहने अपना कविराजा बनाया था। इसने 'गुण भाखा चरित्र' नामक महाराजा गजसिंहके राज्यकालमें एक ग्रंथ बनाया था जो हमारे संग्रहमें है । दसम "बांणावत - प्रसिद्ध कवि जाडा महडूका पुत्र कल्याणदास । बाणाके पुत्र हरिदास सिंढायचको ग्यारहवाँ लाखपसाव दिया गया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003387
Book TitleSurajprakas Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1992
Total Pages464
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy