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आवश्यक मूलसूत्रम् -२-६ / ६२
कारवणेवि एए चैव सत्त भंगा १४, एवं अनुमोयणेणवि सत्त भंगा २१, अहवा न करेइ न कारवेइ मनसा १ अहवा न करेइ न कारवेइ वचसा, २ अहवा न करेइ न कारवेइ कारण ३ अहवा न करेइ न कारवेइ मणसा वयसा ४ अहवा न करेइ न कारवेइ मनसा कायेणं ५ अहवा न करेइ न कारवेइ वयसा कायसा ६ अहवा न करेइ न कारवेइ मनसा वयसा कायसा ७, एते करणकारावणेहिं सत्त भंगा ७ एवं करणानुमोयणेहिवि सत्त भंगा ७, एवं कारावणानुमोयणेहिवि सत्त भंगा, एवं करणकारावणानुमोयणेहिवि सत्त भंगा, एवेते सत्त सत्तभंगाणं एगूणपपण्णासं विगप्पा भवन्ति, एत्थ इमो एगूणपन्नासइमो विगप्पो- पाणातिवायं न करेइ न कारवेइ करेंतंपि अन्नं न समणुजाणइ मणेणं वायाए काएणंति, एस अंतिमविगप्पो पडिमापपडिवन्नस्स समणोवासगस्स तिविहंतिविहेणं भवतीति, एवं ताव अतीतकाले पडिक्कमंतस एगूणपन्ना भवन्ति, एवं पडुपन्नेवि काले संवरेंतस्स एगूनपन्ना भवन्ति, एवं अनागएवि काले पच्चक्खायंतस्स एगूनपन्नासा भवन्ति, एवमेता एगूनपन्नासा तिन्नि सीयालं सावयसयं भवति
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सीयालं भंगसयं जस्स विसोहीऍ होति उवलद्धं ।
सो खलु पच्चक्खाणे कुसलो सेसा अकुसला उ || १||
एवं पुन पंचहिं अनुव्यएहिं गुणियं सत्तसयाणि पंचत्तीसाणि सावयाणं भवन्ति, -सीयालं भंगसयं गिहिच्चक्खाणभेयपरिमाणं ।
जोगत्तियकरणत्तियकालतिएणं गुणेयव्वं ॥२॥ सीयालं भंगसयं पच्चक्खाणंभि जस्स उवलद्धं । सो खलु पच्चक्खाणे कुसलो सेसा अकुसला य || ३ || सीयालं भंगतयं गिहिपच्चक्खाणभेयपरिमाणं । तं च विहिणा इमेणं भवेयव्वं पयतेणं ||४|| तिन्नि तिया तिन्नि दुया तिनिक्किक्का य हुंति जोगेसुं ।
तदुइक्कं तिदुइक्कं तिदुएगं चैव करणाई ||५|| पढमे लब्भइ एगो सेसेसु पएसु तिय तिय तियंति । दो नवतिय दो नवगा तिगुणिय सीयाल भंग सयं ॥ ६ ॥
अहवा अनुव्वए चैव पडुच्छ एक्कगादिसंजोगदुवारेण पभूयतरा भेदा निदंसिजंति, तत्रेयमेकादिसंयोगपपरिमाणपप्रदर्शनपराऽन्यकर्तुकी गाथा ||
पंचमणुवयाणं इक्कगदुगतिगचउक्कपणएहिं । पंचगदसदसपपणइक्कगे य संजोग कायव्वा ॥
एती वक्खाणं- पंचहमणुव्वयाणं पुव्वभणियाणं 'एक्कगदुगतिगचउक्कपपणएहिं' चिंतिजमाणाणं 'पंचगदसदसपणगएक्कगो य संजोग णातव्वा" एक्केण चिंतिजमाणाणं पंच संजोगा कहं ?, पंचसु घरए एगेण पंचेव भवन्ति, दुगेण चिंतिजमाणाणं दस चेव, कहं ?, पढमबीयघरेण एक्को १ पढमततियघरेण २ पढमचउत्थघरेण ३ पढमपंचमघरेण ४ बितियततियघरेण ४ बीयच उत्थघरेण ६ बीयपंचमघरेण सत्तमो ७ ततियचउत्थघरेण ८ ततियपंचमघरेण ९
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