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'आगमसुत्ताणि-सटीकं" भाग १ थी ३० नुं विवरा
"समाविष्टा आगमाः
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आगमसुत्ताणि
भाग-१
भाग-२
भाग-३
भाग-४
भाग- ५-६
भाग-७
भाग-८
भाग-९
भाग-१०-११
भाग-१२
भाग-१३
भाग-१४
आयार
सूत्रकृत
स्थान
भाग- २३
भाग - २४-२५
भाग - २६
भाग-२७
| भाग- २८-२९
भाग-३०
समवाय
भगवती (अपरनाम व्याख्याप्रज्ञप्ति)
ज्ञाताधर्मकथा, उपासकदशा, अन्तकृद्दशा, अनुत्तरोपपातिकदशा,
प्रश्नव्याकरण
विपाकश्रुत, औपपातिक, राजप्रश्निय
| जीवाजीवाभिगम
| भाग-१५-१६-१७ नीशीथ
प्रज्ञापना
सूर्यप्रज्ञप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति
निरवायलिका, कल्पवतंसिका, पुष्पिका, पुष्पचूलिका यहिदशा, चतुःशरण, आतुरप्रत्याख्यान, महाप्रत्याख्यान, भक्तपरिज्ञा, तन्दुलवैचारिक, संस्तारक, गच्छाचार, गणिविद्या, देवेन्द्रस्तव, मरणसमाधि
भाग- १८-१९-२० बृहत्कल्प
| भाग- २१-२२
व्यवहार
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| दशाश्रुतस्कन्ध, जीतकल्प, महनिशीथ
आवश्यक
ओघनियुक्ति, पिण्डनियुक्ति
दशवैकालिक
उत्तराध्ययन
नन्दी, अनुयोगद्वार
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