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आवश्यक मूलसूत्रम्-१-११
भणइ-किंचि जाणसि, ?, भणइ-नत्यि, पुणोऽवि जवइ, ततियवारा, पुणोऽवि पुच्छिओ, पुणो नवकारं करेइ, ताहे वाणमंतरेण रुसिएण तं खग्गं गहाय सो तिदंडी दो खंडीकओ, सुवन्नकोडी जाओ, अंगोवंगाणि य से जुत्तजुत्ताणि काउं सव्वरत्ति बूढं ईसरो जाओ नमोकारफलेणं, जइन होतो नमोकारो तो वेयालेण मारिजंतो, सो सुवन होतो ॥कामनिफत्ती, -कहं ?, एगा साविगा तीसे भत्ता मिच्छादिट्ठी अन्नं भज्जं आनेउं मग्गइ, तीसे तणएण न लहइ से सवत्तगंति, चिंतेइ-किह मारेमि?, अन्नया कण्हसप्पो घडए छुभित्ता आणीओ, संगोविओ, जिमिओ भणइ-आणेहि पुष्पाणि अमुगे घडए ठवियाणि, सा पविट्ठा, अंधकारंति नमोकारं करेइ, जइवि मे कोइ खाएजा तोवि मे मरतीए नमोक्कारो न नस्सहिति, हत्यो छूढो, सप्पो देवयाए अवहिओ, पुष्पमाला कया, सा गहिया, दिना य से, सो संभंतो चिंतेइ-अन्नाणि, कहियं, गओ पेच्छइ घडगं पुष्पगंधं च, नवि इत्य कोइ सप्पो, आउट्टो पायपडिओ सब् कहेइ खामेइ य, पच्छा सा चेव घरसामिणी जाया, एवं कामावहो । ___ आरोग्गाभिरई-एगं नगरं, नईए तडे खरकम्मिएणं सरीरचिंताए निग्गएणं नईए वुझंतं माउलिंगं दिटुं, रायाए उवनीयं, सूयस्स हत्थे दिनं, जिमियस्स उवनीयं, पमाणण अइरित्तं वनेण गंधेणं अइरितं, तस्स मनुसस्स तुट्ठो, भोगो दिन्नो, राया भणइ-अनुनईए मग्गह, जाव लद्धं, पत्थयणं गहाय पुरिसा गया, दिट्टो वणसंडो, जो गेण्हइ फलाणि सो मरइ, रन्नो कहियं, भणइ-अवस्सं आनेयव्वाणि, अक्खपडिया वच्चंतु, एवं गया आणेन्ति, एगो पविट्ठो सो बाहिं उच्छुब्मइ, अन्ने आणंति, सो मरइ, एवं काले वच्चंते सावगस्स परिवाडी जाया, गओ तत्थ, चिंतेइ-मा विराहियसामन्नो कोइ होजत्ति निसीहिया नमोकारं च करेंतो दक्कड, वाणमंतरस्स चिंता, संबुद्धो, वंदइ,मणइ-अहं तत्थेव साहरामि, गओ, रन्नो कहियं, संपूइओ, तस्स ओसीसे दिने दिने ठवेइ, एवं तेन अभिरई भोगा य लद्धा, जीवयाओ य, किं अन्नं आरोग्गं?, रायावि तुट्ठो॥ __ परलोए नमोक्कारफलं-वसंतपुरे नयरे जियसत्तू राया, तस्स गणिया साविया सा चंडपिंगलेण चोरेण समं वसइ । अत्रया कयाइ तेन रन्नो घरं हयं, हारो नीनिओ, भीएहिं संगोविज्जइ । अन्नया उजाणियागमणं, सव्वाओ विभूसियाओ गणियाओ वचंति, तीए सव्वाओ अइसयमित्ति सो हारो आविद्धो, जीसे देवीए सो हारो तीसे दासीए सो नाओ, कहियं रन्नो, सा केण समं वसइ ?, कहिए चंडपिंगलो गहिओ, सूले भिन्नो, तीए चिंतियं-मम दोसेण मारिओत्ति सा से नमोक्कारं देइ, भणइ य-नीयाणं करेहि जहा-एयस्स रन्नो पुत्तो आयामित्ति, कयं, अग्गभहिसीए उदरे उववन्नो, दारओ जाओ, सा साविया कीलावणधावीया जाया। अन्नया चिंतेइ-कालो समो गब्भस्स य मरणस्स य, होज्ज कयाइ, रमावेंती भणइ-मा रोव चंडपिंगलत्ति, संबुद्धो, राया मओ, सो राया जाओ, सुचिरेण कालेण दोवि पव्वइयाणि, एवं सुकुलपञ्चाया तम्मूलागं च सिद्धिगमणं ॥ ___ अहवा वितियं उदाहरणं-महुराए नयरीए जिनदत्तो सावओ, तत्य हुंडिओ चोरो, नयरं मुसइ, सो कयाइ गहिओ सूले भिन्नो, पडिचरह बितिज्जयावि से ननिहिंति, मनूसा पडिचरंति, सो सावओ तस्स नाइदूरेण वीईवयइ, सो भणइ-सावय ! तुमंसि अनुकंपओ तिसाइओऽहं,
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