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बृहत्कल्प-छेदसूत्र
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बृहत्कल्पछेदसूत्रस्य विषयानुक्रमः
उद्देशकः-१, मूलं-७ पर्यन्तः सुमो लाग: १८ उद्देशकः-१ मूलं-८ (आरभ्य....) उद्देशकः-३ मूलं ९६ पर्यन्तः शुमो माग: १८ मूलाङ्कः विषयः पृष्ठाङ्क: मूलाङ्कः विषयः |९७-११० उद्देशकः-३
३ उद्देशकः-५ ९७ | तिकर्म
1-१४६ | मैथुनप्रतिसेवन-प्रकृत 1 -९८ अन्तरगृहस्थानं
1-१४७ अधिकरण 1-१०० अन्तरगृहाख्यानं
-१५१/ संस्तृतनिर्विचिकित्स 1-१०३ शय्यासंस्तारकः
-१५२ उद्गार प्रकृत |-१०८ अवग्रहः
-१५३ | आहारविधिः |-१०९ सेनाप्रकत
-१५४ | पानकविधिः -११० अवग्रहप्रमाणं
-१५६ इन्द्रियसूत्र उद्देशकः-४
|-१५७ | एकाकी -१११ | अनुद्घातिक
-१५८ अचेलं |-११२ | पाराञ्चिक
-१५९/ अपात्रः -११३|अनवस्थाप्य
-१६०/ व्यत्सृष्टकायः -११५ | प्रव्राजना-आदि
-१६१/आतापना 1-११६ | वाचनाप्रकृत
-१७७ | स्थानायत आदि सूत्राणि 1-११८ | संज्ञाप्य-प्रकृत
-१९३ | आकुंचनपट्ट-आदि निषेधः 1-१२० ग्लान-प्रकृत
-१९५ / व्यवहार प्रकृत 1-१२२ | कालक्षेत्रातिक्रान्त
-१९६ पुलाक प्रकृत 1-१२३ | अनेषणीयं
| उद्देशकः-६ १-१२४ | कल्पस्थिताकल्पस्थित
-१९६] वचन प्रकृत 1-१३३ गणान्तरोपसम्पत्
-१९७| प्रस्तार प्रकृत 1-१३४ | विष्वग्भवन
-२०१ / कण्टकादि उद्धरणम् 1-१३५ अधिकरणप्रकृत
-२०४ दुर्ग-प्रकृत १-१३६ | परिहारिक प्रकृत
|-२१३ क्षिप्तचित्तादि सम्बन्धी 1-१३८ | महानदी प्रकृत
-२१४ परिमन्थ प्रकत 1-१४२/ उपाश्रय विधिप्रकृत
-२१५ | कल्प स्थितिः
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