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क्रम | आगमसूत्रनाम
वृत्ति-कर्ता
• वृत्ति श्लोक प्रमाण
श्लोकप्रमाण ३२. | देवेन्द्रस्तव
३७५ | आनन्दसागरसूरि (संस्कृत छाया) | ३७५ ३३. मरणसमाधि * ८३७ | आनन्दसागरसूरि (संस्कृत छाया) ८३७ ३४. | निशीथ
|जिनदासगणि (चूर्णिी
२८०००
सङ्घदासगणि (भाष्य) ७५०० ३५. | वृहत्कल्प ४७३ मलयगिरि+क्षेमकीर्ति
४२६०० सङ्घदासगणि (भाष्य)
७६०० |३६. व्यवहार ३७३ मलयगिरि
३४००० सङ्घदासगणि (भाष्य)
६४०० ३७. | दशाश्रुतस्कन्ध ८९६ - ? - (चूर्णि)
२२२५ ३८. जीतकल्प ★
१३० सिद्धसेनगणि (चूर्णि) १००० ३९. | महानिशीथ
४५४८ ४०. | आवश्यक १३० हरिभद्रसूरि
२२००० ४१. | ओघनियुक्ति नि.१३५५ द्रोणाचार्य
(?)७५०० - पिण्डनियुक्ति में नि. ८३५ मलयगिरिसूरि
७००० दशवैकालिक
८३५ | हरिभद्रसूरि ४३. | उत्तराध्ययन २००० शांतिसूरि
१६००० ४४. नन्दी ७०० मलयगिरिसूरि
७७३२ | ४५. | अनुयोगद्वार | २००० मलधारीहेमचन्द्रसूरि
५९०० नोंध:(१) 60 ४५ मामसूत्रोमा वर्तमान अणे पडेल १ थी ११ अंगसूत्रो, १२ थी २३
उपांगसूत्रो, २४थी33 प्रकीर्णकसूत्रो ३४थी 3८ छेदसूत्रो, ४० थी ४3 मूळसूत्रो,
४४-४५ चूलिकासूत्रोन नामेहास प्रसिद्ध छे. (૨) ઉક્ત શ્લોક સંખ્યા અને ઉપલબ્ધ માહિતી અને પૃષ્ઠ સંખ્યા આધારે નોંધેલ છે. જો
કે તે સંખ્યા માટે મતાંતર તો જોવા મળે જ છે. જેમકે આચાર સૂત્રમાં ૨૫૦૦, ૨૫૫૪, ૨પરપ એવા ત્રણ શ્લોક પ્રમાણ જાણવા મળેલ છે. આવો મત-ભેદ
અન્ય સૂત્રોમાં પણ છે. (3) 69 वृत्ति- नोंछे ते म ३८. संपाइन भुनी छ. ते सिवायना ५९
__ वृत्ति-चूर्णि साहित्य मुद्रित समुद्रित अवस्थामा ५८५ ४. (४) गच्छाचार भने मरणसमाधि नविse चंदावेज्झय भने वीरस्तव प्रकीर्णक मावे
छ. सभे “आगमसुत्ताणि" मां भूग ३ अने भागमही५"मां मशः ગુજરાતી અનુવાદ રૂપે આપેલ છે. તેમજ ગીતા, જેના વિકલ્પ રૂપે છે એ
४२.
७०००
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