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________________ भगवतीअङ्गसूत्रं (२) १२/-/४/५३८ संखेजपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ परमाणु० एगयओ दुपएसिए एगयओ दो संखेजपएसिया खंधा भवंतिजाव अहवा एगयओ परमाणु० एगयओ दसपएसिए एगयो दो संखेजेजपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ परमाणु० एगयओ तिन्नि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति अहवा एगयओ दुपएसिए एगयओ तिन्नि संखेजपएसिया भवंति जाव अहवा एगयओ दसपएसिए एगयओ तिन्नि संखेज्जपएसिया भवंति अहवा चत्तारि संखेनपएसिया भवंति एवं एएणं कमेणं पंचगसंजोगोवि भाणियब्वो जाव नवगसंजोगो। ___ दसहा कञ्जमाणे एगयओ नव परमाणु० एगयओ संखेजपएसिए भवतिअहवाएगयओ अट्ठ परमाणु० एगयओ दुपएस्सिए एगयओ संखेजपएसिए खंधे भवति एएणं कमेणं एक्केको पू० जाव अहवा एगयओ दसपएसिए एगयओ नव संखेजपएसिया भवंति अहवा दस संखेज्जपएसिया खंधा भवंति संखेजहाकञ्जमाणे संखेजा परमाणुपोग्गला भवंति। . असंखेजा भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति एगयओ साहणित्ता किं भवति?, गोयमा! असंखेजपएसिए खंधेभवति, सेभिज्जमाणे दुहाविजावदसहावि संखेनहाविअसंखेजहावि कजइ, दुहाकजमाणे एगयओ परमाणु० एगयओअसंखेजपएसिए भवतिजाव अहवाएगयओ दसपएसिए एगयओ असंखिजपएसिए भवति अहवा एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवति अहवा दो असंखेजपएसिया खंधा भवंति । तहा कञ्जमाणे एगयओदो परमाणु० एगयओअसंखेज्जपएसिए भवति अहवा एगयओ परमाणु० एगयओ दुपएसिए एगयओ असंखिज्जपएसिएभवतिजाव अहवाएगयओ परमाणु० एगयओदसपएसिएएगयओ असंखेजपएसिएभवति अहवा एगे परमाणु० एगे संखेजपएसिए एगे असंखेज्जपएसिए भवति अहवा एगे परमाणु० एगयओ दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति अहवा एगेदुपएसिए एगयओदो असंखेजपएसिया भवंति एवंजाव अहवाएगे संखेजेजपएसिए. भवति एगयओ दो असंखिज्जपएसिया खंधा भवंति अहवा तिन्नि असंखेज्जपएसिया भवंति। चउहा कञ्जमाणे एगयओ तिनि परमाणु० एग० असंखेजपएसिए भवति एवं चउक्कगसंजोगो जाव दसगसंजोगो एए जहेव संखेजपएसियस्स नवरं असंखेज्जगं एग अहिगं भाणियव्बंजाव अहवादसअसंखेजपएसिया खंधा भवंति, संखेजहा कज्जमाणे एगयओ संखेज्जा परमाणुपोग्गला एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवति अहवा एगयओ संखेजा दुपएसिया खंधा एगयओ असंखेजपएसिए खंधे भवति एवं जाव अहवा एगयओ संखेचा दसपएसिया खंधा एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवति अहवा एगयओ संखिज्जा संखिज्जपएसिया खंधा एगयओ असंखि- अपएसिए खंधे भवति अहवा संखेचा असंखेजपएसिया खंधा भवंति, असंखिज्जहा कज्जमाणे असंखेज्जा परमाणुपोग्गला भवंति। अनंता गं भंते ! परमाणुपोग्गला जाव किं भवंति ?, गोयमा ! अनंतपएसिए खंधे भवति, से भिजमाणे दुहावि तिहाविजावदसहावि संखिज्ञा असंखिज्जा अनंतहावि काइ, दुहा कज्जमाणे एगयओपरमाणुपोग्गले दुहावितिहावि जावदसहाविसंखिज्जा असंखिज्जा अनंतहावि कजइ, दुहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणु० एगयओ अनंतपएसिए भवति अहवा एग० परमाणु० एग० दुपएसिए एग० अनंतपएसिए भवति जाव अहवा एग० परमाणु० एग० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003339
Book TitleAgam Sutra Satik 05 Bhagavati AngSutra 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages1096
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size23 MB
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