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(१४) जीवाजीवाभिगम- *प्रतिपत्तिः/* उद्देशकः/मूलं
सामागमwi da विलो छितो सम भाटे प्रतिपत्तिः पछी पेटविलास नोपनीय छे. 343 प्रतिपत्ति -३-नेरइय, तिरिक्खजोणिय, मनुष्य, देव वायर पेपिलायो ५४ छ.तथा तिपत्ति/(नेरइयआदि)/उद्देशकः/मूलं भेरीत स्पष्ट मसरा पाउदा छ, मे रात भी
प्रतिपत्ति ना उद्देशकः नवनया पर ते पेटविमा प्रतिपत्तिः ना.४७. (१५) प्रज्ञापना- पदं/उद्देशकः/द्वारं/मूलं
पदना aa aruni sais उद्देशकः छ, sais द्वार छ पा ५८-२८न विनाम उद्देशकः
અને તેના પેટા વિભાગમાં કાં પણ છે. (१६) सूर्यप्रज्ञप्ति- प्राभृतं/प्राभृतप्राभृतं/मूलं (१७) चन्द्रप्रज्ञप्ति- प्राभृतं/प्राभृतप्राभृतं/मूलं
04 15-१७५i प्राभृतप्रामृत न। ५५ प्रतिपत्तिः नाम पे facun ®. ५॥ उद्देशकः ॥
મુજબ તેનો વિશેષ વિસ્તાર થાયેલ નથી. (१८) जम्बूदीपप्रज्ञप्ति- वक्षस्कारः/मूलं (१९) निरयावलिका - अध्ययन/मूलं (२०) कल्पवतंसिका - अध्ययनं/मूलं (२१) पुष्पिता - अध्ययन/मूलं (२२) पुष्पचूलिका - अध्ययन/मूलं (२३) वण्हिदशा - अध्ययन/मूलं
१८ ची २३ निरयावलिकादि नामयी साधे हो भने छ भने 6षामना पाय ful सूत्रधा भोगावा छे. *ial-1, निरयावलिका, -२ कल्पवतंसिका... २३ वा (२४ थी ३३) चतुःशरण (आदि दशेपयन्ना) मूलं (३४) निशीय - उद्देशकः/मूलं (३५) बृहत्कल्प - उद्देशकः/मूलं (३६) व्यवहार - उद्देशकः/मूलं (३७) दशाश्रुतस्कन्ध - दशा/मूलं (३८) जीतकल्प - मूलं (३९) महानिशीय - अध्ययनं/उद्देशकः/मूलं (४०) आवश्यक - अध्ययन/मूलं (४१) ओघ/पिण्डनियुक्ति - मूलं (४२) दशवैकालिक - अध्ययनं/उद्देशकः/मूलं (४३) उत्तराध्ययन · अध्ययनं//मूलं (४४- ४५) नन्दी-अनुयोगद्वार - मूलं
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