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आवश्यक-मूलसूत्रम् -२- ४/२६ अच्छसि जाव एक्कंपिता दारगरुवं जायं तो देमो, पडिवन्नं, दिन्ना, एवं कालो वच्चइ, अन्नया तस्स दारगस्स अंमापितीहिं लेहो विसज्जिओ-अम्हे अंधलीभूयाणि जइ जीवंताणि पेच्छसि तो एहि, सो लेहो उवणीओ,सोतंवाएइ अंसूणिमुयमाणो, तीए दिट्ठो,पुच्छइ, न किंचिसाहइ,तीएलेहो गहिओ, वाइत्ताभणइ-माअधितिं करेहि, आपुच्छामि, ताएकहियं सव्वं अम्हापिऊणं,कहिए विसज्जियाणि, निगयाणि दक्खिणमहुराओ,सायअन्नियागुम्विणी, साअंतरापंथे वियाया,सो चिंतेइ-अम्मापियरो नामं कहिँतित्ति न कयं, ताहे रमावेतो परियणो भणेइ-अन्नियाए पुत्तोति, कालेण पत्ताणि, तेहिवि सेतंचेव नामंकयं अन्नंन पइट्ठिहित्ति, ताहेसोअन्नियपुत्तो उम्मुक्कबालभावो भोगेअवहायपव्वइओ, थेरतणे विहरमाणो गंगायडे पुप्फभ नामंनयरंगओससीसपरिवारो, पुप्फकेऊराया पुप्फवती देवी, तीसे जमलगाणि दारगो दारिगा य जायाणि पुप्फचूलो पुप्फचूला य अन्नमन्नमणुरत्ताणि, तेन रायाए चिंतियं-जइ विओइज्जंति तो मरंति, ता एयाणिचेव मिहुनगं करेमि, मेलित्ता नागरा पुच्छिया-एत्थं जरयणमुप्पज्जइतस्स को ववसाइराया नयरे वा अंतेउरेवा?
एवं पत्तियावेइ, मायाएवारंतीए संजोगो घडाविओ, अभिरमंति, सादेवी साविया तेन निव्वेएण पव्वइया, देवोजाओ, ओहिणा पेच्छइधूयं, तओ से अज्झहिओ नेहो,मा नरगंगच्छिहित्ति सुमिणए नरएदंसेइ, साभीया रायाणं अवयासेइ, एवं रत्तिं २,ताहे पासंडिणो सद्दाविया, कहेहकेरिसा नरया ?, ते कहिँति, ते अन्नारिसग्गा, पच्छा अन्नियपुत्ता पुच्छिया, ते कहेउमारद्धा-'निच्चंधयारतमसा०, सा भणइ-किंतुब्भेहिवि सुमिणओ ट्ठिो?, आयरिया भणंति-तित्थयरोवएसोत्ति, एवं गओ, कालेणं देवो देवलोयं दरिसेइ, तत्थवि तहेव पासंडिणो पुच्छिया जाहे न याणंति ताहे अन्नियपुत्ता पुच्छिया, तेहिं कहिया देवलोगा, सा भणइ-किह नरगा न गंमंति?, तेन साधम्मो कहिओ, रायाणं च आपुच्छइ, तेन भणियं-मुएमि जइ इहं चेव मम गिहे भिक्खं गिण्हइत्ति, तीए पडिस्सुयं, पव्वइया, तत्थ य ते आयरिया जंधाबलपरिहीणा ओमे पव्वइयगे विसज्जेत्ता तत्थेव विहरंति, ताहे सा भिक्खं अंतेउराओ आनेइ, एवं कालो वच्चइ, अन्नया तीसे भगवईए सोभनेनऽझवसाणेणकेवलनाणमुप्पनं, केवली किर पुव्वपउत्तं विनयं न लंघेइ, अन्नया जं आयरियाण हियइच्छियंतं आनेइ, सिंभकाले य जेण सिंभोन उप्पज्जइ, एवं सेसेहिवि, ताहे तेभणंति-जंमए चिंतियंतंचेवआनीयं, भणइ-जाणामि, किह ?, अइसएण, केण?, केवलेन, केवली आसाइओत्ति खामिओ, अन्ने भणंति-वासे पडते
आणियं, ताहे भणंति-किह अजे! वासे पडते आणेसि?,साभणइ-जेण२ अन्तेन आगया, कह जाणासि ?, अइसएण, खामेइ, अद्धितिं पगओ, ताहे सो केवली भणइ-तुब्भेवि चरमसरीरा सिज्झिहिह गंगंउत्तरंता, तोताहे चेव पउत्तिन्नरे, नावाविजेण २ पासेनऽवलग्गइतंतं निबुड्डइमज्झे उठ्ठिया सव्वावि निबुड्डा, तेहिं पाणीए छूढो, नाणं उप्पन्नं, देवेहि महिमा कया, पयागं तत्थ तित्थं पवत्तं, से सीसकरोडी मच्छकच्छमेहिं खजंती एगत्थ उच्छलिया पुलिणे, साइओ तओ छुब्भमाणा एगत्थ लग्गा, तत्थ पाडलिबीयं कहवि पविटुं, दाहिणाओ हणुगाओ करोडिं भिंदंतो पायगो उडिओ, विसालो पायवो जाओ, तत्थतं चासं पासंति, चिंतेति-एत्थ नयरे रायरस सयमेव रयणाणि एहिति तं नयरं निवेसिंति, तत्थ सुत्ताणि पसारिजंति, नेमित्तिओ भणइ-ताव जाहि सिवा वासेंति तओ नियत्तेज्जासित्ति, ताहे पुव्वाओ अंताओ अवरामहो गओ तत्थ सिवा उठ्ठिया नियत्तो, उत्तराहुत्तो तत्थवि, पुणोविपुव्वाहुत्तोगओतत्थवि, दक्खिणहुत्तोतत्थवि सिवाए वासियं, तंकिर वीयणगसंठियं
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