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________________ पदं - 9, उद्देशक:--, द्वारं ६९ से किं तं सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया ?, सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया दुविहा पं०, तं० - पढमसमयसुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया य अपढमसमयसुहुमसंपरायसरागचरित्तारियाय, अहवा चरिमसमयसुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया य अचरिमसमयसुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया य, अहवा सुहुमसंपरायसरागचरित्तारिया दुविहा पं०, तं० - संकिलिस्समाणा य विसुज्झमाणा य, सेत्तं सुहुसंपरायसरागचरित्तारिया । से किं तं बादरसं परायसरागचरित्तारिया ?, बादर० दुविहा पं०, तं० - पढमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया अपढमसमयबादरसंपरायसरागचरितारिया य, अहवा चरिमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया य अचरिमसमयबादरसंपरायसरागचरित्तारिया य, अहवा बादरसंपरायसरागचरित्तारिया दिविहा पं०, तं०- पडिवाई य अपडिवाई य, सेत्तं बादरसंपरायसराग-रितारिया, सेत्तं सरागचरितारिया । से किं तं वीयरायचरितारिया ?, वीयरायचरित्तारिया दुविहा पं०, तं०-उवसंतकसायवीयरायचरितारिया य खीणकसायवीयरायचरित्तारिया य । से किं तं उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया ?, उवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पं०, तं०–पढमसमयउवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य अपढमसमयउवसंतकसायवीयरायचरित्तारियाय, अहवा चरिमसमयउवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयउवसंतकसायवीयरायचरित्तारिया च, सेत्तं उवसंतकसायवीयरायचरितारिया । से किं तं खीणकसायवीयरायचरितारिया ?, खीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पं०, छउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य केवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य । से किं तं छउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया ?, छउमत्थखीणकसायवीयरायचरितारिया दुविहा पं० तं०-सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया व बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरितारिया य । से किं तं सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया ?, सयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पं० तं० - पढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरितारिया य अपढमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य, अहवा चरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थं खीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयसयंबुद्धछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य । सेत्तं सयंबुद्धखीणकसायवीयरायचरित्तारिया । , से किं तं बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया ?, बुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया दुविहा पं० तं० - पढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया व अपढमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य, अहवा चरिमसमयबुद्धवोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अचरिमसमयबुद्धबोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरितारियाय, सेत्तं वुद्धवोहियछउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया, सेत्तं छउमत्थखीणकसायवीयरायचरित्तारिया । से किं तं केवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया ?, दुविहा पं०, तं० सजोगिकेवलिखीणकसायवीयरायचरित्तारिया य अजोगिकेवलिखीण- कसायवीयरायचरितारिया य । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003314
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 10 Pragnapana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages324
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size19 MB
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