SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २२१ पदं-६, उद्देशकः-, द्वारं-५ संखेज्जवासाउएहिंतो उववजंति नो असंखेज्जवासउएहिंतो उववजंति, जइसंखेज्जवासाउयगब्भवक्किंतियचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितोउववजंति किं पञ्जत्तगसंखेज्जवासाउयगब्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितोउववजंति अपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयगब्भवतियचउप्पयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियएहितो उववजंति गोयमा! पज्जत्तेहिंतो उववजंति नो अपञ्जत्तसंखेजवासाउएहिंतो उववजंति, जइ परिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितोउववजंतिभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति?, गोयमा! दोहितोविउववजंति, जइउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति किं संमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियएहिंतो उववजंति गब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति ?, गोयमा ! संमुच्छिमेहिंतो उववजंति गब्भवंकतिएहितोवि उववजंति, ___ जइ संमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितोउववजंति किं पज्जत्तएहितो उववजंति अपजत्तगेहिंतो उववजंति?, गोयमा! पजत्तगसंमुच्छिमेहिंतो उववजंति नो अपज्जत्तगसंमुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति, जइ गब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति किं पज्जत्तएहितो उ० अपज्जत्तएहितो उ० ?, गोयमा ! पजत्तगगब्भवक्तिएहिंतो उववजंति नो अपज्जत्तगगब्भवक्कंतियउरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववअंति, ___ जइ भुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति किं संमुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति गब्भवतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति?, गोयमा! दोहितोऽवि उववजंति, जइ संमुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं पञ्जत्तयसंमुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववअंति अपजत्तयसंमुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति ?,गोयमा ! पजत्तए हिंतो उववजंति नो अपज्जत्तएहिंतो उववजंति, जइगब्भवक्कंतियभुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उवजंतिकिंपज्जत्तएहितोउववजंतिअपजत्तएहितोउववजंति?, गोयमा! पजत्तएहितोउववजंति नो अपजत्तएहितो उववजंति, जइखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितोउववजंतिकिं संमुच्छिमखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितोउववजंतिगब्भवक्कंतियखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति?, गोयमा! दोहितोऽविउवजंति, जइ संमुच्छिमखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववजंति किं पज्जत्तएहिंतो उववजंति अपञ्जत्तएहितो उववजंति ?, गोयमा ! पजत्तएहितो उववजंति नो अपञ्जत्तएहिंतो उववजंति, जइ पञ्जत्तगगब्भवक्कंतियखहयरपंचिंदियातरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं संखेजवासाउएहिंतो उववजंति असंखेजवासाउएहितो उववजंति? गोयमा! संखिज्जवासाउएहिंतो उववजंति नो असंखिजवासाउहिंतो उववजंति?, गोयमा! संखिज्जवासाउएहितो उववजंति नो असंखिज्ज- वासाउएहिंतो उववज्जंति, जइ संखिज्जवासाउयगब्भवतियखहयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववजंति किं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003314
Book TitleAgam Suttani Satikam Part 10 Pragnapana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year2000
Total Pages324
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_pragyapana
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy