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________________ संस्कृत विभाग - २ (१३) ( खग्धरा ) मायातुङ्गीनिरासे खरकिरणतुला- 'रोहिणं छिन्नभोगासङ्गं गङ्गातरङ्गामलगुणनिलयं रागनागोरगारिम् । संसारोदार -- नीरालय - गुरुतरणि भावसारं निकामं, सेवे वामेयदेवं हरगैल - वलवच्छायकाया - मिरामम् ॥ १॥ निस्सीमं धारयन्ती बलमखिल - कलाभृरुहाराम भूमिर्भासा सिन्धूरधूली - मिसेल हिम - महानील - हेमाभदेहा | गङ्गा- कल्लोलमाला-धवलगुण - गणा हन्तु वो भावरोगाभोगं वन्दारुदेवा - सुरनर - विसरा बुद्धसेव्याहृदाली ॥२॥ भूयो भावारिपीडा - निबिड तमतमो - वार-संहार - केली - हेलि- हेलानिरुद्धाखिल-कुनय - परीणाम मुद्दामधाम । अच्छिन्नं देवदेवागम -- मुरुकरुणावल्लरीवारिवाहं, वन्दे सन्देहदावानल - बहुल - जलासार -- माकालसिद्धम् ॥३॥ लीलाखेलं मरालं परिमल - कमला-- लोल -- रोलम्बपालीगुअद्गेयाभिरामं हिमधवलदलं सारसंचारयन्ती । हे हे नीहार - हारच्छविहरणचणं भासमूहं वहन्ती, भीमं सम्मोहजालं सरसिजसुसकरा हन्तु वो वाणिदेवी ॥४॥ ( पू. जंबूसू. म. डभोई ) १. रोहणम् २. तरङ्गा ३. हरगलगवलच्छा ४. भसल Jain Education International १०३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003304
Book TitleStuti Tarangini Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarsuri
PublisherLabdhi Bhuvan Jain Sahitya Sadan
Publication Year
Total Pages446
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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