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________________ संस्कृत विभाग- २ (११) ( शार्दूलविक्रीडितम् ) आनन्दानतनाकिनालकमनो राजीव - राजीवतानन्दामन्दरवर-- सुन्दर -- गुणोत्तरङ्गतारचितम् । चामेयं विनयादमेय - महिमा - सम्भार - सम्भासुरं, सेवे केवलबोध - बन्धुर - रमात्यन्तैकशान्त्यालयम् ॥ १ ॥ संसारापारनीराकरमरणजराजाति कल्लोल - मालाघोराघाताभिभूतासुमद - - समसमुत्तारणे सत्तरीव । सेवा हेवाकिदेवासुरनर - निकरानन्दिपादारविंदा, देयं देयादमेयं सुखमसुख - पयो- बन्ध- पाली जिनाली ॥२॥ -- १०१ सम्भूता वीरनाथानननलिनदा सङ्गता साधुलोककामायामात साशणु - विरतिविपुला चारुमूलानुकूला । अकाने कादिरूपाऽवितथवरवचो - वाहिनी दुरपारा, गङ्गेवागाधबोधाभिधविमलजलापातिनी वीरवाणी ||३|| Jain Education International देवी वामेदेवाधिपपदकमलोपासनावासनाव चित्ता वित्तावदाता जिनमतनिरता सङ्घलोके हिताय । माला मुल्लासयन्ती धरणफणिमनोवलमा मङ्गलाना-मासेवायातदेवी भवतु भगवती भूतये सानुभावा ||४|| ( कच्छ भंडार - पाटण ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003304
Book TitleStuti Tarangini Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarsuri
PublisherLabdhi Bhuvan Jain Sahitya Sadan
Publication Year
Total Pages446
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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