SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संस्कृत विभाग- २ (६) ( स्रग्विणी ) सिद्धि - गन्धर्व - विद्याधर - श्रेणिभिः पुण्यभारा - दिवानम्रसन्मौलिनिः वन्दितं यस्य पादारविन्दं मुदा शान्तिनाथाय तस्मै नमः सर्वदा ||१| सर्वतः केवलज्ञान - संप्रज्ञया पुण्वपापक्षये प्राप्तमोक्षालयाः, मुर्तिमन्तः शुभांशा इव श्रीजिना - स्ते मुदं शन्तु वः कान्तवस्तूचिताः | २ | वस्तु - सन्दोह - सन्देह - दावानलः क्षीरधारा - धरस्फार-वारिच्छटा सार्ववक्त्रेन्दु - पीयूष - धारा इवो तापनिर्वापणं कुर्वतां वो गिरः | ३|| धार्मिका - नल्पसङ्कल्प - कल्पद्रुमा देवदेवी - भिरभ्यर्च्य - मानक्रमाः, कीर्ति - कोलाहल - व्याप्तदिङ्मण्डला, मङ्गलं तन्वतां क्षिप्रभाखण्डलाः ||४|| ( उदयसागरजी सुतभाणलिखितं त्रि स. १५८५, पो. शु, ९. रवि-संघनो भंडार - पाटण ) Jain Education International L'e For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003304
Book TitleStuti Tarangini Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarsuri
PublisherLabdhi Bhuvan Jain Sahitya Sadan
Publication Year
Total Pages446
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy