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________________ अष्टमाध्यायस्य चतुर्थः पादः ७४५ विसर्जनीय आदेश होकर 'विसर्जनीयस्य स:' ( ८ | ३ | ३४) से विसर्जनीय को सकार आदेश होता है। इस सूत्र से षकार के योग में सकार को षकार आदेश होता है। ऐसे ही - प्लक्षाषट् । (२) रामष्टीकते । रामस्+टीकते, इस स्थिति में इस सूत्र से सकार को टवर्ग के योग में षकार आदेश होता है। ऐसे ही - देवष्टीकते । रामष्ठक्कुरः, देवष्ठक्कुरः । (३) पेष्टा । यहां 'पिष्लृ पेषणे' धातु से 'वुल्तृचौ (३।१।१३३) से 'तृच्' प्रत्यय है। इस सूत्र से षकार के योग में तकार को टकार आदेश होता है। तुमुन् प्रत्यय में- पेष्टुम् । तव्यत्-प्रत्यय में - पेष्टव्यम् । (४) कृषीष्ट । यहां 'डुकृञ् करणे' (तना० उ०) धातु से लिङ्' प्रत्यय, लकार के स्थान में आत्मनेपद 'त' आदेश, 'लिङः सीयुट् (३ | ४ | १०२ ) से सीयुट् और 'सुट् तिथो:' ( ३।४।१०७) से 'सुट्' आगम है। 'आदेशप्रत्यययो:' ( ८1३1५९) से उभयत्र षत्व होता है। इस सूत्र से षकार के योग में तकार को टवर्ग टकार आदेश होता है। 'थास्' प्रत्यय में - कृषीष्ठाः । (५) अग्निचिट्टीकते । अग्निचित्+टीकते, इस स्थिति में इस सूत्र से टकार के योग में तकार को टवर्ग टकार आदेश होता है । सोमसुत्+टीकते= सोमसुट्टीकते । (६) अग्निचिट्ठक्कुरः । अग्निचित्+ठक्कुरः, इस स्थिति में इस सूत्र से ठकार के योग में तकार को टवर्ग ठकार आदेश होता है । सोमसुत् + ठक्कुरः = सोमसुट्ठक्कुरः । (७) अग्निचिड्डयते । अग्निचित्+इयते, इस स्थिति में प्रथम 'झलां जश् झशि (८/४/५३) से तकार को जश् दकार होकर इस सूत्र से दकार को टवर्ग डकार आदेश होता है । सोमसुत्+इयते= सोमसुड्डयते । अग्निचित् + ढौकते = अग्निचिड्ढौकते । सोमसुत्+ढौकते=सोमसुड्ढौकते । अग्निचित्+णकार | अग्निचिद्+णकार=अग्निचिण्णकारः । यहां प्रथम 'झलां जशोऽन्ते' ( ८1२ 1 ३९ ) से तकार को जश् दकार होकर इस सूत्र से दकार को टवर्ग णकार आदेश होता है। सोमसुत्+णकार । सोमसुद्+णकार= सोमसुण्णकारः । (८) अट्टते। यहां अट्ट (अतूट ) 'अतिक्रमणहिंसनयो:' (भ्वा०प०) धातु से 'लट्' प्रत्यय है। धातुपाठ में पठित 'अट्ट' धातु मूलतः 'अत्ट्' है। इस सूत्र से तकार को टवर्ग टकार आदेश होता है। ऐसे ही 'अड्ड (अत्ड) अभियोगे (भ्वा०प०) धातु से- अड्डति । षकारटवर्गप्रतिषेधः (३) न पदान्ताट्टोरनाम् । ४१ । प०वि०-न अव्ययपदम् पदान्तात् ५ | १ टो: ६ । १ अनाम् १ । १ (षष्ठ्यर्थे)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003301
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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