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________________ षष्ठाध्यायस्य प्रथमः पादः २७ उदा० - वावश्यते, वावश्येते वावश्यन्ते । 'ग्रहिज्या० ' ( ६ । १ । १६ ) 1 इत्यनेन प्राप्तं सम्प्रसारणं प्रतिषिध्यते । आर्यभाषाः अर्थ- (वश:) वश् (धातोः) धातु को (यङि) यङ् प्रत्यय परे होने पर (सम्प्रसारणम्) सम्प्रसारण (न) नहीं होता है। उदा० - वावश्यते । वह पुन: पुन: / अधिक कामना करता है। वावश्येते । वे दोनों पुनः-पुनः/अधिक कामना करते हैं। वावश्यन्ते । वे सब पुनः पुनः / अधिक कामना करते हैं । सिद्धि - वावश्यते । वश्+यङ् । वश्+य । वश्य्+वश्य । व+वश्य । वा+वश्य । वावश्य+लट् । वावश्य+त। वावश्य+शप्+त। वावश्य+अ+ते । वावश्यते । यहां 'वेश कान्तों' (अदा०प०) धातु से 'धातोरेकाचो०' (३।१।२२ ) से यङ् प्रत्यय है । यङ् प्रत्यय परे होने पर 'प्रहिज्या०' ( ६ |१|१६ ) से प्राप्त सम्प्रसारण का इस सूत्र से प्रतिषेध होता है। 'दीर्घोऽकितः' (७।४।८३) से अभ्यास को दीर्घ होता है । तत्पश्चात् 'वावश्य' धातु से लट् प्रत्यय है। ऐसे ही वावश्येते, वावश्यन्ते । की- आदेश: (६) चाय: की | २१ | प०वि०- चाय: ६ |१ की १ ।१ (सु- लुक् ) । अनु० - धातो:, यङि इति चानुवर्तते । अन्वयः - चायो धातोर्यङि की: अर्थ:- चायो धातो: स्थाने यङि प्रत्यये परत: की - आदेशो भवति / उदा० - चेकीयते, चेकीयेते, चेकीयन्ते । आर्यभाषाः अर्थ-(चाय) चाय् (धातोः) धातु के स्थान में ( यङि ) यङ् प्रत्यय परे होने पर (की) की आदेश होता है। उदा० - चेकीयते । वह पुन: पुन: / अधिक पूजा करता है। चेकीयेते । वे दोनों पुनः-पुनः/अधिक पूजा करते हैं। चेकीयन्ते । वे सब पुन: पुन: / अधिक पूजा करते हैं । सिद्धि-चेकीयते । चाय्+यङ् । की+य। कीय्+कीय । की+कीय। के+कीय । चे+कीय | चेकीय+लट् । चेकीय+त। चेकीय+शप्+त । चेकीय+अ+ते । चेकीयते । यहां 'चायृ पूजानिशामनयो:' (भ्वा०3०) धातु से 'धातोरेकाचो०' (३।१।२२ ) से यंङ् प्रत्यय है। यङ् प्रत्यय परे होने पर इस सूत्र से 'चाय' के स्थान में 'की' आदेश होता है। 'गुणो यङ्लुको:' (२७/४/८२ ) से अभ्यास को गुण और 'अभ्यासे (ci४ 1५३) से अभ्यास के ककार को चर् चकार होता है। तत्पश्चात् 'चेकीय' धातु से लट् प्रत्यय है।
SR No.003300
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages754
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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