SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 425
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४०८ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् सिद्धि-उपदेवः । यहां उप और देव शब्दों का कुगतिप्रादयः' (२।२।१८) से प्रादितत्पुरुष समास है। इस सूत्र से इस समास में उप-उपसर्ग से परे द्वि-अच् (दो अचोंवाले) देव' उत्तरपद को अन्तोदात्त स्वर होता है। ऐसे ही-उपसोम: आदि। अन्तोदात्तम् (५३) सोरवक्षेपणे।१६५। प०वि०-सो: ५ १ अवक्षेपणे ७।१। अनु०-उदात्त:, उत्तरपदम्, अन्त:, समासे, उपसर्गात्, तत्पुरुषे इति चानुवर्तते। __ अन्वय:-तत्पुरुष समासे सोरुपसर्गाद् उत्तरपदम् अन्त उदात्त:, अवक्षेपणे। अर्थ:-तत्पुरुष समासे सोरुपसर्गात् परम् उत्तरपदम् अन्तोदात्तं भवति, अक्षेपणे गम्यमाने। अवक्षेपणम् निन्दा । उदा०-इह खल्विदानीं सुस्थण्डिले सुस्फिगाभ्यां सुप्रत्यवस्थितः। सुशब्दोऽत्र पूजायामर्थे वर्तते किन्तु वाक्यार्थेन तु अवक्षेपणम् (निन्दा) अर्थोऽवगम्यते। आर्यभाषा: अर्थ-(तत्पुरुषे) तत्पुरुष (समासे) समास में (सो:) सु (उपसर्गात्) उपसर्ग से परे (उत्तरपदम्) उत्तरपद को (अन्त उदात्त:) अन्तोदात्त होता है (अवक्षेपणे) यदि वहां निन्दा अर्थ की प्रतीति हो। उदा०-इह खल्विदानीं सुस्थण्डिले सुस्फिगाभ्यां सुप्रत्यवस्थितः । अब आप यहां इस सुन्दर चबूतरे पर सुन्दर स्फिगों (नितम्ब-चूतड़) से सुन्दर रीति से बैठे हुये हो। कोई पुरुष अनर्थ उपस्थित होने पर भी सुखपूर्वक बैठा रहे उसे इस प्रकार चिड़ाया जाता है। यहां अवक्षेपण निन्दा अर्थ स्पष्ट है। सिद्धि-सुस्थण्डिलम् । यहां सु और स्थण्डिल शब्दों का वा०- ‘स्वती पूजायाम् (भा० २।२।१८) से प्रादितत्पुरुष समास है। इस सूत्र से इस समास में सु-उपसर्ग से परे स्थण्डिल उत्तरपद को अवक्षेपण अर्थ की प्रतीति में अन्तोदात्त स्वर होता है। यद्यपि यहां 'सु' शब्द पूजा अर्थ में है किन्तु वाक्य से अवक्षेपण अर्थ प्रकट हो रहा है। ऐसे ही-सुस्फिगाभ्याम्, सुप्रत्यवस्थितः। अन्तोदात्तविकल्प: (५४) विभाषोत्पुच्छे।१६६ । प०वि०-विभाषा १।१ उत्पुच्छे ७।१ ।
SR No.003300
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages754
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy