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________________ पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् आर्यभाषाः अर्थ - इस द्विर्वचन- प्रकरण में (दाश्वान् ) दाश्वान् ( साहवान्) साहवान् (मीढ्वान्) मीढ्वान् शब्द (च) भी छन्द और लौकिक भाषा में अविशेष रूप से निपातित हैं। यहां दाश्वान् आदि शब्दों में एकवचन गौण हैं । १४ उदा० १- (दाश्वान्) दाश्वान् दाशुषः सुतम् (ऋ० १1३1७) । (सावान् ) सावान् बलाहकः । ( मीढ्वान् ) मीढवस्तोकाय तनयाय मृड (ऋ० २।३३।१४ ) । सिद्धि - (१) दाश्वान् । दाश्+लिट् । दाश्+क्वसु । दाश्+वस् । दाश्वस्+सु । दाशवनुम् स्+स् । दाश्वन्स्+स् । दाश्वान्स्+० । दाश्वान् । यहां 'दाशृ दाने' (भ्वा० उ० ) धातु से लिट् प्रत्यय और 'क्वसुश्च' से 'लिट्' स्थान में 'क्वसु' आदेश है। लिटि धातोरनभ्यासस्य' (६ 1१1८) से प्राप्त द्वित्व और 'आर्धधातुस्येड्वलादे:' (७/२/३५) से प्राप्त इट् आगम का अभाव इस सूत्र से निपातित है । क्वसु प्रत्यय के उगित् होने से 'उगिदचां सर्वनामस्थानेऽधातो:' ( ७|१/७०) से नुम् आगम, ‘सर्वनामस्थाने चासम्बुद्धौ (६।४।८) से नकारान्त अंग की उपधा को दीर्घ 'हल्डन्याब्भ्यो दीर्घात्०' (६/१/६७ ) से 'सु' का लोप और 'संयोगान्तस्य लोपः' (८ / २ / २३) से सकार का लोप होता है। (२) सावान् । यहां 'षह मर्षणे' (भ्वा०आ०) धातु से पूर्ववत् लिट्' प्रत्यय और उसके स्थान में 'क्सु' आदेश है। धातु को परस्मैपद, उपधा को दीर्घ, द्विर्वचन और इट् आगम का अभाव निपातित है। (३) मीढ्वान् | यहां 'मिह सेचने' (भ्वा०प०) धातु से पूर्ववत् लिट् प्रत्यय और उसके स्थान में क्वसु आदेश है । द्विर्वचन, इट् आगम का अभाव, उपधा को दीर्घ और हकार को ढकार आदेश निपातित है। ।। इति द्विर्वचनप्रकरणम् । । सम्प्रसारणप्रकरणम् ष्यङः सम्प्रसारणम् (१) ष्यङः सम्प्रसारणं पुत्रपत्योस्तत्पुरुषे | १३ | प०वि०-ष्यङः ६।१ सम्प्रसारणम् १ । १ पुत्रपत्योः ७ । २ तत्पुरुषे ७ ।१ । स०-पुत्रश्च पतिश्च तौ पुत्रपती, तयो: - पुत्रपत्योः (इतरेतरयोगद्वन्द्वः) । अन्वयः - तत्पुरुषे समासे पुत्रपत्योः ष्यङः सम्प्रसारणम् । अर्थः-तत्पुरुषे समासे पुत्रपत्योरुत्तरपदयोः ष्यङः सम्प्रसारणं भवति । यण: स्थाने इक्- आदेशो भवतीत्यर्थः ।
SR No.003300
Book TitlePaniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanacharya
PublisherBramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
Publication Year1999
Total Pages754
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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